कश्मीर में 25 किताबों पर प्रतिबंध से जुड़े प्रावधान की वैधता पर फैसला उच्च न्यायालय करेगा

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नयी दिल्ली, 29 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय को उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया, जो अधिकारियों को ‘सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने’ के आधार पर प्रकाशनों को जब्त करने का अधिकार देता है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली की पीठ ने उस याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा पांच अगस्त को ‘झूठे आख्यानों को बढ़ावा देने और आतंकवाद का महिमामंडन’ करने के आरोप में 25 पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को भी चुनौती दी गई थी।

पीठ ने कहा, ‘‘हम संतुष्ट हैं कि याचिकाकर्ता केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालय के समक्ष भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका के माध्यम से प्रभावी ढंग से निवारण की मांग कर सकता है।’’

शीर्ष अदालत ने आगे कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि वे अपनी अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की एक पीठ गठित करें और इन मुद्दों पर जल्द से जल्द निर्णय लेने का प्रयास करें।’’

याचिकाकर्ता शाकिर शब्बीर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय और अन्य राज्यों के कुछ मामले हैं, लेकिन वे अलग-अलग पुस्तकों में हैं।

न्यायमूर्ति कांत ने बताया कि एक बार एक स्वयंभू धर्मगुरु ने हर धर्म के बारे में किताबें लिखना शुरू कर दिया और अदालतों के लिए समस्याएं खड़ी कर दीं।

हेगड़े ने बीएनएसएस की धारा 98 का ​​हवाला दिया और कहा कि यह प्रावधान पूरे भारत में लागू होता है, और यही समस्या है।

उन्होंने कहा कि इस प्रावधान के तहत किसी छोटे राज्य का अधिकारी किसी पुस्तक को अश्लील घोषित कर सकता है और फिर उन पुस्तकों को पूरे देश से जब्त किया जा सकता है।

पीठ ने कहा कि अदालत ने 25 पुस्तकों की सूची देखी है और वह इस मामले में उच्च न्यायालय के विचार का लाभ उठाना चाहेगी।

वकील इबाद मुस्ताक के माध्यम से दायर याचिका में बीएनएसएस की धारा 98 और जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा पांच अगस्त को जारी की गई अधिसूचना को चुनौती दी गई है, जिसमें 25 उल्लेखनीय पुस्तकों और उनकी प्रतियों या अन्य दस्तावेजों के सामूहिक प्रकाशन को सरकार द्वारा जब्त करने की घोषणा की गई है।

जिन पुस्तकों पर पांच अगस्त को प्रतिबंध लगाया गया उनमें मौलाना मौदादी, अरुंधति रॉय, ए जी नूरानी, ​​विक्टोरिया स्कोफील्ड और डेविड देवदास जैसे प्रसिद्ध लेखकों की पुस्तकें भी शामिल हैं।

प्रतिबंधित पुस्तकों में इस्लामिक विद्वान और जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदादी की ‘अल जिहादुल फिल इस्लाम’, ऑस्ट्रेलियायी लेखक क्रिस्टोफर स्नेडेन की ‘इंडिपेंडेंट कश्मीर’, डेविड देवदास की ‘इन सर्च ऑफ ए फ्यूचर’ (द स्टोरी ऑफ कश्मीर)’, विक्टोरिया स्कोफील्ड की ‘कश्मीर इन कॉन्फ्लिक्ट’ (भारत, पाकिस्तान और अंतहीन युद्ध), ए जी नूरानी की ‘द कश्मीर डिस्प्यूट (1947-2012)’ और अरुंधति रॉय की ‘आजादी’ शामिल हैं।