आसन के प्रयासों के बावजूद सत्र का बार-बार बाधित होना दुर्भाग्यपूर्ण : हरिवंश

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नयी दिल्ली, 21 अगस्त (भाषा) राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने बृहस्पतिवार को अफसोस जताते हुए कहा कि सदन के सूचीबद्ध कार्यों पर व्यवधान-रहित चर्चा सुनिश्चित करने के आसन के भरसक प्रयासों के बावजूद, यह सत्र दुर्भाग्यवश बार-बार बाधित हुआ जिससे न केवल बहुमूल्य संसदीय समय का नुकसान हुआ बल्कि सदस्यों को लोक महत्व से जुड़े अपने मुद्दे उठाने का अवसर भी नहीं मिला।

उपसभापति ने राज्यसभा के 268वें सत्र के अंतिम दिन सदन को अनिश्चिकाल के लिए स्थगित करने से पहले यह टिप्पणी की। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस सत्र के सबक भविष्य में और अधिक रचनात्मक और उद्देश्यपूर्ण विमर्श के लिए प्रेरित करेंगे।

इस सत्र के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर चर्चा को लेकर लगातार हंगामा किया जिसे सदन में गतिरोध बना रहा। हालांकि हंगामे के बीच ही सरकार ने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराया।

हरिवंश ने कहा, ‘‘सूचीबद्ध कार्यों पर सार्थक और सुचारू चर्चा सुनिश्चित करने के आसन के भरसक प्रयासों के बावजूद, यह सत्र दुर्भाग्यवश बार-बार व्यवधानों के कारण बाधित रहा, जिसके परिणामस्वरूप बार-बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इससे न केवल बहुमूल्य संसदीय समय की हानि हुई, बल्कि हमें लोक महत्व के कई मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर भी नहीं मिला।’’

उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर, सदन केवल 41 घंटे 15 मिनट चला और इस सत्र की उत्पादकता निराशाजनक रूप से 38.88 प्रतिशत रही, जो गंभीर आत्मचिंतन की मांग करती है।

उपसभापति ने कहा कि सदस्यों के पास 285 प्रश्न, शून्यकाल के तहत 285 मुद्दे और विशेष उल्लेख के जरिए 285 विषय उठाने का अवसर था। लेकिन केवल 14 प्रश्न ही पूछे जा सके और शून्यकाल के तहत सात वहीं विशेष उल्लेख के जरिए 61 विषय ही उठाए जा सके।

उन्होंने बताया कि इस सत्र के दौरान, 15 सरकारी विधेयक पारित किए गए या उन्हें लौटाया गया। पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई और ऑपरेशन सिंदूर पर सदन में हुई विशेष चर्चा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह

अत्यंत राष्ट्रीय महत्व का मामला था। दो दिनों तक चली इस चर्चा में कुल 64 सदस्यों ने भाग लिया और गृह मंत्री ने इसका जवाब दिया।

उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान सदन को उपराष्ट्रपति पद की रिक्ति के बारे में भी विधिवत अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान तमिलनाडु के छह सदस्यों को विदाई भी दी गयी जिनका कार्यकाल 24 जुलाई 2025 को पूरा हो रहा था।