अदालत का फैसला ‘भगवा आतंकवाद’ कहने वालों के मुंह पर तमाचा : साध्वी प्रज्ञा

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भोपाल, तीन अगस्त (भाषा) मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी की गईं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने रविवार को कहा कि अदालत का फैसला हिन्दुत्व की जीत और ‘भगवा आतंकवाद’ कहने वालों के मुंह पर करारा तमाचा है।

अदालत के फैसले के बाद पहली बार भोपाल पहुंचीं ठाकुर ने यहां राजा भोज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘यह हिन्दुत्व और धर्म की विजय है, भगवा की विजय है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है सत्यमेव जयते, यह सिद्ध हुआ है। भगवा आतंकवाद कहने वालों के मुंह काले हुए हैं।’’

भोपाल की पूर्व सांसद ने कहा, ‘‘उनको (भगवा आतंकवाद कहने वालों) समाज ने और देश ने बहुत अच्छे से जवाब दिया है। अदालत का निर्णय स्पष्ट है और वह विरोधियों तथा भगवा आतंकवाद कहने वालों के मुंह पर तमाचा है।’’

महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 घायल हो गए थे।

विशेष अदालत ने ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को 30 जुलाई को बरी करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई ‘विश्वसनीय और ठोस सबूत’ नहीं हैं।

भोपाल स्थित आवास पर ठाकुर के पहुंचने के बाद उनका फूल-मालाओं और ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत किया गया और मिठाइयां भी बांटी गईं।

ठाकुर ने एक बार फिर वह आरोप दोहराया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि जांच अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया और उन पर कई लोगों के नाम लेने का दबाव बनाया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘…दबाव था लेकिन मैं इसमें आई नहीं। मैंने किसी का भी झूठा नाम नहीं लिया। इसलिए मुझे इतना प्रताड़ित किया गया।’’

ठाकुर ने शनिवार को मुंबई में दावा किया था कि जांच अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया था और उनसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई लोगों के नाम लेने को कहा था।

ऐसा पहली बार है जब ठाकुर ने यह सनसनीखेज दावा किया, जिसका एनआईए की विशेष अदालत के 1036 पृष्ठों के फैसले में कोई उल्लेख नहीं है।

ठाकुर शनिवार को कुछ औपचारिकताएं पूरी करने के लिए सत्र अदालत में पेश हुईं। अदालत के बाहर पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने दावा किया कि पूछताछ के दौरान उन्हें प्रताड़ित किया गया था।

विशेष न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने अपने फैसले में ठाकुर के यातना और दुर्व्यवहार के दावों को खारिज किया है।