यह ठीक है कि ईश्वर का नाम व्यक्ति सोते-जागते, उठते-बैठते, आते-जाते, अपना काम करते, कभी भी ले सकता है और वह उससे भी लाभान्वित होता है। मगर जब भक्त कुछ पल निकाल कर ईश्वर की पूजा में बैठना चाहता है तो उसे पहले स्नान कर लेना, अधिक उत्तम रहेगा। हो सकता है आप थके हों, हो सकता है आप पूरी तरह शुद्ध न हों, हो सकता है आप आलस्य में हो, हो सकता है आप काम के कारण उतने चुस्त-दुरूस्त न हों जितना कि आप को होना ही चाहिए। यदि आप पूजा से पहले स्नान कर लेते हैं तो ये सारी कमियां स्वत: दूर हो जाएंगी। आप का मन पूजा में लगेगा। आप अधिक चुस्त नजर आएंगे। आप एकाग्रचित होकर अपने आराध्य देव का ध्यान कर सकेंगे। साफ, स्वच्छ निर्मल होकर आप प्रभु का ध्यान करने में सफल होंगे। ठीक है कि बिना स्नान किए भी पूजा करने से प्रभु नाराज नहीं होंगे, पर यदि आप स्नान कर, शुद्ध होकर प्रभुजी का ध्यान करेंगे तो वह यकीनन बहुत प्रसन्न होंगे तथा आपकी कामना जल्दी पूरी होगी। लाभ उठा सकेंगे।