नयी दिल्ली, 31 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कर्ज में डूबी कंपनी भूषण स्टील एंड पावर लिमिटेड (बीएसपीएल) के परिसमापन का आदेश देने वाला दो मई का अपना फैसला बृहस्पतिवार को वापस ले लिया।
शीर्ष अदालत ने दो मई को बीएसपीएल के कर्ज समाधान के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील की तरफ से पेश किए गए प्रस्ताव को गैरकानूनी ठहराने के साथ ही खारिज कर दिया था।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस फैसले की समीक्षा के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि पहले दिए गए ‘विवादित निर्णय’ में कानूनी स्थिति का सही ढंग से मूल्यांकन नहीं किया गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि चुनौती दिए गए निर्णय में उन न्यायिक निर्णयों के आलोक में कानूनी स्थिति को सही ढंग से नहीं समझा गया, जिनका पहले से उल्लेख है। इसके अलावा यह तर्क भी दिया गया कि कई तथ्यों पर आधारित पहलुओं को ध्यान में रखा गया, जबकि वे दलीलें रखी ही नहीं गई थीं। हालांकि, इस स्थिति को लेकर मतभेद है।’’
इसके साथ ही पीठ ने कहा, ‘‘यह मामला पिछले निर्णय को वापस लिए जाने के एकदम माकूल है और मामले की फिर से सुनवाई की जानी चाहिए।’’
शीर्ष अदालत ने समीक्षा याचिकाओं को अगली सुनवाई के लिए सात अगस्त को सूचीबद्ध कर दिया।
दो मई को न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली पीठ ने जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड की तरफ से बीएसपीएल के लिए पेश की गई समाधान योजना को अवैध ठहराते हुए खारिज कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने बीएसपीएल के सभी पक्षकारों- समाधान पेशेवर, सीओसी और एनसीएलटी की आलोचना करते हुए कहा था कि समाधान प्रक्रिया में दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) का ‘घोर उल्लंघन’ हुआ है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कर्ज समाधान योजना को मंजूरी देने में कर्जदाताओं की समिति ने वाणिज्यिक सूझबूझ का परिचय नहीं दिया था क्योंकि यह योजना आईबीसी के प्रावधानों का पूरी तरह उल्लंघन करती है।
बहरहाल, अब उच्चतम न्यायालय द्वार उस फैसले को वापस ले लिए जाने के बाद बीएसपीएल की समाधान प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाएगा और जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना पर नए सिरे से विचार हो सकता है।