नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि मध्यप्रदेश के सिंगरौली कोयला खदानों में दुर्लभ मृदा तत्वों के आशाजनक भंडार पाए गए हैं।
दुर्लभ मृदा तत्व (आरईई) स्कैंडियम और यिट्रियम जैसे धात्विक तत्वों का एक समूह है, जिनका उपयोग स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों सहित विभिन्न आधुनिक तकनीकों में किया जाता है।
कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक प्रश्न के उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कोयला खदान के अपशिष्ट में पाए जाने वाले आरईई से संबंधित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं शुरू की हैं।
उन्होंने कहा कि सिंगरौली कोयला क्षेत्र में गोंडवाना तलछट (कोयला, मिट्टी, शेल, बलुआ पत्थर) में सूक्ष्म तत्वों और आरईई सांद्रता के मूल्यांकन दर्शाते हैं कि आरईई की प्रकृति आशाजनक है (कोयला नमूनों में संपूर्ण कोयला आधार पर लगभग 250 पीपीएम और गैर-कोयला नमूनों में लगभग 400 पीपीएम की समृद्धि के साथ)। हालांकि आरईई का किफायती निष्कर्षण तकनीकी प्रगति और पैमाने की अर्थव्यवस्था पर निर्भर है।
उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) कोयला क्षेत्र से आरईई और अन्य आर्थिक संसाधनों के मूल्यांकन परिणाम बताते हैं कि कुल आरईई कम है, लेकिन भारी आरईई सामग्री अपेक्षाकृत अधिक है।
उन्होंने बताया कि सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) ने इस क्षेत्र में अनुसंधान के लिए खनिज एवं सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएमएमटी), भुवनेश्वर; गैर-लौह सामग्री प्रौद्योगिकी विकास केंद्र (एनएफटीडीसी), हैदराबाद और आईआईटी, हैदराबाद के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।