नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) अंतरराष्ट्रीय सड़क महासंघ (आईआरएफ) की भारतीय इकाई ने बुधवार को कहा कि देश में ज्यादातर सड़क परियोजनाएं खराब तरीके से चिह्नित या बिना रोशनी वाले मोड़ जैसे बुनियादी सुरक्षा मानदंडों का पालन किए बिना ही चल रही हैं और इस कारण जानलेवा दुर्घटनाएं होती हैं।
अंतरराष्ट्रीय सड़क महासंघ (आईआरएफ) ने बयान में पूरे भारत में सड़क निर्माण क्षेत्रों में और उसके आसपास होने वाली मौत और गंभीर सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता जतायी है।
भारतीय इकाई आईआरएफ-आईसी के अध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘कई निर्माण स्थलों पर, आईआरएफ की भारतीय इकाई ने मोड़ या लेन बंद होने के बारे में पहले से ही चेतावनी संकेतों की कमी, बैरिकेड का अभाव, खराब तरीके से चिह्नित या बिना रोशनी वाले मोड़ देखे हैं। ये बेहद खतरनाक हैं और इसके परिणामस्वरूप खासकर रात में गंभीर दुर्घटनाएं होती हैं।’’
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में ऐसे किसी व्यक्ति की तैनाती नहीं होती जो बताए कि आगे रास्ता गड़बड़ है। इसके साथ गति नियंत्रण के उपाय भी अपर्याप्त हैं।
श्रीवास्तव ने कहा कि इसके कारण आमने-सामने की टक्कर, गलत दिशा में गाड़ी चलाने और जानलेवा दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है, जबकि ये सभी घटनाएं रोकी जा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे पर हाल ही में हुई एक दुखद घटना इसका एक अच्छा उदाहरण है। चल रहे सड़क निर्माण कार्य के कारण एक बिना चिन्हित मोड़ के कारण दो वाहनों की आमने-सामने की एक जानलेवा टक्कर हुई।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘संकेतकों और लेन अलग करने की व्यवस्था की कमी के कारण एक वाहन गलत दिशा में चला गया, जिससे दोनों सवारों की मौत हो गई।’’
आईआरएफ-आईसी ने सभी संबंधित पक्षों से तत्काल कार्रवाई की मांग की, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), राज्य लोक निर्माण विभाग और निजी सड़क ठेकेदारों के लिए आईआरसी कार्य क्षेत्र सुरक्षा दिशानिर्देशों का अनिवार्य अनुपालन शामिल है।
आईआरएफ-आईसी ने कहा कि निर्माण कार्यों से पहले, कार्य के दौरान और बाद में सुरक्षा ऑडिट किए जाने चाहिए। साथ ही सभी पक्षों को कार्य क्षेत्र योजनाओं, मोड़ मानचित्रों और समय-सीमाओं की सार्वजनिक रूप से जानकारी दिये जाने पर भी ध्यान देना चाहिए।
महासंघ ने सुझाव दिया कि संबंधित प्राधिकारियों को कार्य क्षेत्र के उल्लंघन से होने वाली मृत्यु के लिए कड़े दंड और आपराधिक जवाबदेही का प्रावधान भी करना चाहिए।