नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों के आधार की पड़ताल के लिए एक जांच समिति गठित करने की घोषणा कर सकते हैं। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि 21 जुलाई को बिरला को सौंपा गया 152 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस अब ‘‘सदन का दस्तावेज’’ है और तीन सदस्यीय समिति के गठन के लिए परामर्श शुरू हो गया है, जिसमें उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश या शीर्ष अदालत के एक न्यायाधीश, किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल होंगे।
लोकसभा में बीते सोमवार को नोटिस दिया गया था और उसी दिन 63 विपक्षी सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक ऐसा ही नोटिस राज्यसभा के तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ को सौंपा गया था, इसलिए उच्च सदन भी परामर्श प्रक्रिया का हिस्सा है।
इस प्रक्रिया के तहत, अध्यक्ष द्वारा प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को पत्र लिखकर दोनों न्यायाधीशों के नाम के लिए उनकी अनुशंसा प्राप्त करने की उम्मीद है, जबकि प्रतिष्ठित न्यायविद का चयन उनका विशेषाधिकार है।
नोटिस सौंपे जाने के बाद से, गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में सदन के नेता जे पी नड्डा, लोकसभा अध्यक्ष बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश भविष्य में उठाये जाने वाले कदमों पर विचार-विमर्श करने में शामिल रहे हैं।
न्यायाधीश (जांच) अधिनियम के अनुसार, जब किसी प्रस्ताव के नोटिस की सूचना संसद के दोनों सदनों में एक ही दिन प्रस्तुत की जाती है, तो न्यायाधीश के विरुद्ध लगाए गए आरोपों की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति द्वारा एक समिति गठित की जाती है।
सोमवार शाम ही एक नाटकीय घटनाक्रम में धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था।