
राजेश खण्डेलवाल
साइबर क्राइम के कारण आए दिन सुर्खियों में रहने वाले मेवात में बहुतेरे दुकानदार अपने बैंक खातों के फ्रीज होने की समस्या से जूझ रहे हैं। राजस्थान के मेवात में साइबर ठगी की बढ़ती वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए भरतपुर पुलिस ने ‘ऑपरेशन एंटी-वायरस’ शुरू किया जिसके सार्थक परिणाम भी सबके सामने आए लेकिन दुकानदार आज भी बैंक खाता फ्रीज होने जैसी समस्या से छुटकारा मिलने की राह ताक रहे हैं। बैंक अधिकारियों का तर्क है कि दुकानदार के खाते में फ्रॉड की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर होने पर पुलिस उनके खातों को फ्रीज करने का निर्देश देती है जिसकी पालना करना हमारी मजबूरी है। वहीं पुलिस अफसरों का तर्क यह होता है कि यह अनुसंधान का मामला है, इसलिए खाते फ्रीज कराना जरूरी है। वहीं दुकानदारों का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई पैमाना नहीं है, जिससे यह तय हो सके कि ग्राहक उन्हें जो ऑनलाइन पैमेंट कर रहा है कि वह राशि फ्रॉड की है या सुरक्षित है। उन्हें तो पता तब चलता है कि जब उनका बैंक खाते से लेनदेन ही बंद हो जाता है। बैंक पहुंचते हैं तो पता चलता है कि पुलिस ने उनके खाते का फ्रीज करा दिया है।
हालात यह है कि किसी दुकानदार का गुजरात की क्राइम ब्रांच ने तो किसी अन्य दुकानदार का तमिलनाडू की क्राइम ब्रांच ने खाता फ्रीज कराया है। पुलिस थानों में चक्कर काटते हैं तो भी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाता है। दुकानदारों का कहना है कि इससे उन्हें व्यापार करने में काफी परेशानी आ रही है। मेवात में बैंक खाता फ्रीज होने जैसी समस्या से जूझते कई दुकानदारों ने तो ऑनलाइन पैमेंट लेना ही बंद कर दिया है। दुकानदारों के इस तरह के कदम से उन ग्राहकों को असुविधा झेलनी पड़ रही है जो सही तरीके से ऑनलाइन पैमेंट करना चाहते हैं और उनकी जेब में नकदी नहीं होती है। राजस्थान के मेवात में ऐसे सैंकड़ों की संख्या में बैंक खाते हैं जो अब भी फ्रीज पड़े हैं और दुकानदार बैंक और पुलिस के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं।
वर्ष 2024 में ‘ऑपरेशन एंटी-वायरस’ तत्कालीन आईजी राहुल प्रकाश को इसलिए शुरू करना पड़ा कि डीग देश में साइबर अपराध का नम्बर वन हॉट स्पॉट बन गया था। यहां के साइबर अपराधियों से देश के हर प्रदेश के लोग त्रस्त थे। कुछ मामलों में तो पीडि़तों ने आत्महत्या तक कर ली थी। ऐसे कारणों से साइबर अपराध पर अंकुश लगाना सरकार के प्राथमिकताओं में शामिल हुआ। स्थिति ऐसी हो गई कि देश के कुल साइबर अपराधों में से 21 फीसदी केवल डीग से हो रहे थे।
‘ऑपरेशन एंटी-वायरस’ के तहत पुलिस ने मेवात में गांव-गांव जाकर धर्मगुरुओं, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के साथ पंचायत कर समझाया। इतना ही नहीं, गांव के युवाओं को यह समझाया कि साइबर क्राइम का रास्ता आपका भविष्य खराब कर देगा। पुलिस ने स्कूल, कॉलेजों में साइबर कानून और सुरक्षा को लेकर विद्यार्थियों को जागरूक करने का प्रयास किया।
राजस्थान के मेवात में साइबर ठगी जैसे गोरखधंधे में युवा ही नहीं बल्कि बच्चे भी लिप्त पाए गए, जिन्हें उनके ठिकानों से पुलिस ने दबोचा। मेवात में कई बार पुलिस को विरोध भी झेलना पड़ा लेकिन पुलिस ने अपनी रणनीति से साइबर ठगों के मंसूबों पर पानी फेरा। मेवात में साइबर अपराध के खिलाफ माहौल बनने लगा तो जिम्मेदार ग्रामीण भी पुलिस की मदद करने को आगे आने लगे। इन मददगार ग्रामीणों ने सैंकड़ों मोबाइलों को तोडऩे के साथ ही आग के हवाले कर दिया।
पुलिस ने ‘ऑपरेशन एंटी-वायरस’ के तहत करीब सवा छह सौ मामले दर्ज कर 2 हजार से ज्यादा साइबर अपराधियों को पकड़ा जिनसे नकदी बरामद करने के साथ ही फर्जी सिम कार्ड, चोरी के मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड और 300 से ज्यादा वाहन जब्त किए। पुलिस की रणनीति और कार्यकुशलता का ही परिणाम रहा कि रेंज में साइबर अपराधों में 83 प्रतिशत तक की कमी आई। मेवात में साइबर अपराध पर काफी हद तक अंकुश लगा पाने में पुलिस कामयाब रही हैं लेकिन अब भी यह अपराध पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है।
साइबर क्राइम के कारण आए दिन सुर्खियों में रहने वाले मेवात में बहुतेरे दुकानदार अपने बैंक खातों के फ्रीज होने की समस्या से जूझ रहे हैं। राजस्थान के मेवात में साइबर ठगी की बढ़ती वारदातों पर अंकुश लगाने के लिए भरतपुर पुलिस ने ‘ऑपरेशन एंटी-वायरस’ शुरू किया जिसके सार्थक परिणाम भी सबके सामने आए लेकिन दुकानदार आज भी बैंक खाता फ्रीज होने जैसी समस्या से छुटकारा मिलने की राह ताक रहे हैं। बैंक अधिकारियों का तर्क है कि दुकानदार के खाते में फ्रॉड की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर होने पर पुलिस उनके खातों को फ्रीज करने का निर्देश देती है जिसकी पालना करना हमारी मजबूरी है। वहीं पुलिस अफसरों का तर्क यह होता है कि यह अनुसंधान का मामला है, इसलिए खाते फ्रीज कराना जरूरी है। वहीं दुकानदारों का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई पैमाना नहीं है, जिससे यह तय हो सके कि ग्राहक उन्हें जो ऑनलाइन पैमेंट कर रहा है कि वह राशि फ्रॉड की है या सुरक्षित है। उन्हें तो पता तब चलता है कि जब उनका बैंक खाते से लेनदेन ही बंद हो जाता है। बैंक पहुंचते हैं तो पता चलता है कि पुलिस ने उनके खाते का फ्रीज करा दिया है।
हालात यह है कि किसी दुकानदार का गुजरात की क्राइम ब्रांच ने तो किसी अन्य दुकानदार का तमिलनाडू की क्राइम ब्रांच ने खाता फ्रीज कराया है। पुलिस थानों में चक्कर काटते हैं तो भी उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाता है। दुकानदारों का कहना है कि इससे उन्हें व्यापार करने में काफी परेशानी आ रही है। मेवात में बैंक खाता फ्रीज होने जैसी समस्या से जूझते कई दुकानदारों ने तो ऑनलाइन पैमेंट लेना ही बंद कर दिया है। दुकानदारों के इस तरह के कदम से उन ग्राहकों को असुविधा झेलनी पड़ रही है जो सही तरीके से ऑनलाइन पैमेंट करना चाहते हैं और उनकी जेब में नकदी नहीं होती है। राजस्थान के मेवात में ऐसे सैंकड़ों की संख्या में बैंक खाते हैं जो अब भी फ्रीज पड़े हैं और दुकानदार बैंक और पुलिस के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं।
वर्ष 2024 में ‘ऑपरेशन एंटी-वायरस’ तत्कालीन आईजी राहुल प्रकाश को इसलिए शुरू करना पड़ा कि डीग देश में साइबर अपराध का नम्बर वन हॉट स्पॉट बन गया था। यहां के साइबर अपराधियों से देश के हर प्रदेश के लोग त्रस्त थे। कुछ मामलों में तो पीडि़तों ने आत्महत्या तक कर ली थी। ऐसे कारणों से साइबर अपराध पर अंकुश लगाना सरकार के प्राथमिकताओं में शामिल हुआ। स्थिति ऐसी हो गई कि देश के कुल साइबर अपराधों में से 21 फीसदी केवल डीग से हो रहे थे।
‘ऑपरेशन एंटी-वायरस’ के तहत पुलिस ने मेवात में गांव-गांव जाकर धर्मगुरुओं, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के साथ पंचायत कर समझाया। इतना ही नहीं, गांव के युवाओं को यह समझाया कि साइबर क्राइम का रास्ता आपका भविष्य खराब कर देगा। पुलिस ने स्कूल, कॉलेजों में साइबर कानून और सुरक्षा को लेकर विद्यार्थियों को जागरूक करने का प्रयास किया।
राजस्थान के मेवात में साइबर ठगी जैसे गोरखधंधे में युवा ही नहीं बल्कि बच्चे भी लिप्त पाए गए, जिन्हें उनके ठिकानों से पुलिस ने दबोचा। मेवात में कई बार पुलिस को विरोध भी झेलना पड़ा लेकिन पुलिस ने अपनी रणनीति से साइबर ठगों के मंसूबों पर पानी फेरा। मेवात में साइबर अपराध के खिलाफ माहौल बनने लगा तो जिम्मेदार ग्रामीण भी पुलिस की मदद करने को आगे आने लगे। इन मददगार ग्रामीणों ने सैंकड़ों मोबाइलों को तोडऩे के साथ ही आग के हवाले कर दिया।
पुलिस ने ‘ऑपरेशन एंटी-वायरस’ के तहत करीब सवा छह सौ मामले दर्ज कर 2 हजार से ज्यादा साइबर अपराधियों को पकड़ा जिनसे नकदी बरामद करने के साथ ही फर्जी सिम कार्ड, चोरी के मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड और 300 से ज्यादा वाहन जब्त किए। पुलिस की रणनीति और कार्यकुशलता का ही परिणाम रहा कि रेंज में साइबर अपराधों में 83 प्रतिशत तक की कमी आई। मेवात में साइबर अपराध पर काफी हद तक अंकुश लगा पाने में पुलिस कामयाब रही हैं लेकिन अब भी यह अपराध पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है।