
भारत में सोना न केवल एक धातु है बल्कि यह आस्था, परंपरा, सामाजिक प्रतिष्ठा और वित्तीय सुरक्षा का प्रतीक भी है। भारतीय संस्कृति में सोने को “शुद्ध” और “मूल्यवान” माना जाता है और यही कारण है कि समय चाहे जैसा भी हो अच्छा या बुरा, सोने की मांग हमेशा ही बनी रहती है लेकिन जब हम बात करते हैं सोने की कीमतों में वृद्धि की तो इसके पीछे सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक पहलू नहीं बल्कि कुछ ठोस आर्थिक और वैश्विक कारण भी होते हैं। वर्तमान समय में सोने की कीमतों में जो तेज़ी देखने को मिल रही है, उसके पीछे मुझे तीन मुख्य कारण समझ में आते हैं:
पहला कारण है वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता और ट्रेड वॉर की छाया पड़ी हुई है. यूक्रेन रूस और इसराइल हमास के युद्ध से लाल सागर और काला सागर वाले वैश्विक सप्लाई चैन के दबाब से दुनिया अपने आपको संतुलित कर ही रही थी कि डोनाल्ड ट्रम्प के दुबारा सत्ता में आने के बाद अमेरिका फर्स्ट और टैरिफ वार शुरू होने से दुनिया की इकॉनमी रिसेट मोड में चली गई. इससे हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार में तनाव और अस्थिरता देखने को मिली है। अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर (शुल्क युद्ध) अलग ही लेवल पर पहुंच गया है। जब दो बड़े देश आपसी व्यापार पर शुल्क लगाते हैं और आयात-निर्यात को सीमित करने की कोशिश करते हैं तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता फैलती ही है।
इस तरह की स्थिति में शेयर बाज़ार में अस्थिरता आने लगती है। निवेशकों को भविष्य को लेकर चिंता होने लगती है और वे उन परिसंपत्तियों की ओर रुख करने लगते हैं जो सुरक्षित मानी जाती हैं। सोना सदियों से “सेफ हेवन” यानी सुरक्षित निवेश का माध्यम माना जाता रहा है। इसका कोई क्रेडिट रिस्क नहीं होता, यह भौतिक रूप से मौजूद होता है और मुश्किल वक्त में इसका मूल्य गिरने की बजाय अक्सर बढ़ता है। ट्रेड वॉर के कारण अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों के स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट देखने को मिली। इस तरह की वैश्विक आर्थिक अस्थिरता ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया जिससे इसकी मांग और कीमत, दोनों में उछाल आया।
दूसरा कारण है मौसमी मांग और भारतीय संस्कृति में सोने का शुरू से महत्वपूर्ण स्थान होना. भारत में सोने की मांग का एक बहुत बड़ा हिस्सा त्योहारों और शादी के सीजन के दौरान देखने को मिलता है। विशेष रूप से अक्षय तृतीया, धनतेरस, दीपावली और शादी-ब्याह के अवसरों पर सोने की खरीदारी शुभ मानी जाती है। ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में लोग सोने को एक स्थायी संपत्ति मानकर निवेश करते हैं। हर साल जब यह सीजन आता है तो सोने की मांग में अचानक उछाल आता है। जब मांग बढ़ती है तो सामान्य आर्थिक सिद्धांत के अनुसार कीमतें भी बढ़ जाती हैं। यह एक प्रकार की मौसमी वृद्धि होती है जो हर वर्ष लगभग तय रहती है। इसके अलावा भारत में पीढ़ियों से सोना केवल एक आभूषण ही नहीं बल्कि एक वित्तीय सुरक्षा कवच के रूप में भी देखा गया है। महिलाएं इसे अपनी संपत्ति समझती हैं और कठिन समय में इसे बेचकर आर्थिक सहायता प्राप्त की जा सकती है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में, जहां बैंकिंग की पहुँच सीमित है, वहां सोना बचत का एक मजबूत विकल्प बनता है।
तीसरा प्रमुख कारण है डॉलर की लगातार मज़बूती और आयात लागत में वृद्धि होना. भारत में सोने की खपत तो बहुत अधिक है, लेकिन उसका अधिकांश हिस्सा आयात किया जाता है। अब, चूंकि सोने का अंतरराष्ट्रीय व्यापार अमेरिकी डॉलर में होता है, इसलिए डॉलर के मूल्य में वृद्धि का सीधा प्रभाव भारत में सोने की कीमत पर पड़ता है। जब अमेरिकी डॉलर भारतीय रुपये की तुलना में मजबूत होता है तब भारत को एक यूनिट सोना खरीदने के लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसका सीधा अर्थ यह है कि आयात महंगा हो जाता है और घरेलू बाजार में सोने की कीमत बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, यदि एक औंस सोने की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में $2,000 है और डॉलर की विनिमय दर ₹75 से बढ़कर ₹85 हो जाती है तो उसी सोने की कीमत ₹1,50,000 से बढ़कर ₹1,70,000 तक जा सकती है, भले ही अंतरराष्ट्रीय कीमत में कोई बदलाव न हो। इस तरह रुपये की कमजोरी और डॉलर की मजबूती दोनों ही भारत में सोने को महंगा बना देते हैं।
इन तीन प्रमुख कारणों वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, मौसमी मांग और डॉलर की मजबूती ने मिलकर भारत में सोने की कीमतों को लगातार ऊपर की ओर धकेला है। निवेशकों की मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति, सांस्कृतिक आवश्यकताएं और वैश्विक बाज़ार की चाल, सब मिलकर सोने को एक ऐसा निवेश माध्यम बनाते हैं जो मुश्किल वक्त में भी चमकता रहता है। हालांकि, निवेशकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सोने में निवेश करते समय केवल कीमतों की चाल नहीं बल्कि दीर्घकालिक वित्तीय योजना भी अहम होती है। सोना स्थिरता और सुरक्षा तो देता है पर यह रिटर्न के लिहाज से हमेशा सर्वोत्तम विकल्प नहीं होता। इसलिए विवेकपूर्ण निवेश के लिए सोने को अपने पोर्टफोलियो का एक हिस्सा बनाना चाहिए न कि एकमात्र विकल्प।