दिल्ली के मद्रासी कैंप में बुलडोजरों से ढहाई गई झुग्गी बस्ती, ‘आप’ ने साधा भाजपा पर निशाना

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नयी दिल्ली, एक जून (भाषा) दक्षिणी दिल्ली के बारापुला के पास मद्रासी कैंप झुग्गी बस्ती के बड़े हिस्से को रविवार को बुलडोजरों से ढहाए जाने के बाद राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया।

दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद की गई इस कार्रवाई की आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने तीखी आलोचना की और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर विश्वासघात और असंवेदनशीलता का आरोप लगाया।

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इस कदम की निंदा की।

उन्होंने लिखा, “चुनाव से पहले, भाजपा नेता मद्रासी कैंप में रहने आए थे। उन्होंने लोगों से ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ फॉर्म भरवाए। जैसे ही भाजपा सरकार आई, उन्होंने इन झुग्गियों को बुलडोजर से ढहा दिया। चंद लोगों को ही घर दिए गए, वह भी नरेला में। ज्यादातर लोग सड़कों पर आ गए हैं। यह भाजपा की सच्चाई है।”

इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ‘आप’ की दिल्ली इकाई के प्रमुख सौरभ भारद्वाज ने कार्रवाई के समय पर सवाल उठाया।

उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “कल दिल्ली की मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोई झुग्गी नहीं तोड़ी जाएगी। आज ही बारापुला मद्रासी कैंप को बुलडोजर से ढहा दिया गया। हजारों लोग अपने घरों से वंचित हो गए। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को यह उजागर करना चाहिए कि भाजपा राष्ट्रीय राजधानी में तमिलनाडु के लोगों के साथ कैसा व्यवहार करती है।”

‘आप’ विधायक प्रवीण कुमार ने भी सोशल मीडिया पर एक वीडियो बयान साझा कर प्रशासन पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा, “50 साल से वहां रह रहे लोगों के घर ध्वस्त कर दिए गए। अरविंद केजरीवाल सरकार में जो नहीं हुआ, वह अब रेखा गुप्ता की सरकार में दिल्ली में हो रहा है।”

निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के पास बारापुला नाले के किनारे करीब 60 साल से मौजूद मद्रासी कैंप में करीब 370 परिवार रहते थे।

पिछले महीने, निवासियों को बेदखली के नोटिस दिए गए थे, और अधिकारियों ने नरेला में सरकारी फ्लैटों में पुनर्वास के लिए केवल 189 परिवारों की पहचान की थी।

तीस मई को जारी एक सरकारी नोटिस में निवासियों को सूचित किया गया कि उनके सामान को स्थानांतरित करने में सहायता के लिए 31 मई से 1 जून तक बारापुला पुल पर ट्रक उपलब्ध रहेंगे।

तमिलनाडु सरकार ने स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अदालत के निर्देश के अनुसार तोड़फोड़ की जा रही है और सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो चुके हैं।

सरकार ने कहा कि तमिलनाडु के उन निवासियों को सहायता प्रदान की जाएगी जो अपने मूल जिलों में वापस जाना चाहते हैं।

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