सीतारमण ने लद्दाख में एनएलएसटी परियोजना स्थल का किया दौरा, युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की

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लेह, 17 जून (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पैंगोंग झील के पास राष्ट्रीय वृहद सौर दूरबीन (एनएलएसटी) परियोजना स्थल का दौरा किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के चार दिवसीय दौरे पर आईं सीतारमण ने चुशुल गांव में ‘रेजांग ला’ युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

एनएलएसटी परियोजना का लक्ष्य लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के पास लगभग 4,200 मीटर की ऊंचाई पर दो मीटर श्रेणी का ‘ऑप्टिकल’ और इन्फ्रारेड (आईआर) दूरबीन का निर्माण करना है।

इसका प्राथमिक लक्ष्य सौर वायुमंडल का उच्च-स्तरीय अध्ययन करना है, जिसमें चुंबकीय क्षेत्र, सौर गतिविधि और हेलियोसिस्मोलॉजी (सूर्य की अंदरूनी संरचना को समझने के लिए सौर दोलन का अध्ययन) को समझने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री को मेराक में एनएलएसटी परियोजना स्थल के दौरे के दौरान भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के निदेशक प्रोफेसर अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने परियोजना के बारे में जानकारी दी।

अपनी यात्रा के तीसरे दिन सीतारमण ने लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में ‘हान्ले डार्क स्काई रिजर्व’ में एक ‘मिनी प्लेनेटेरियम और एस्ट्रो ग्लोब’ की आधारशिला रखी।

हान्ले स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के ‘मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट (एमएसीई) टेलीस्कोप ’ केंद्र में बीएआरसी के खगोलभौतिकी विज्ञान प्रभाग प्रोफेसर सुब्रमण्यम और के के यादव ने दूरबीन की वर्तमान उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर प्रस्तुति दी।

आईआईए और स्थानीय समुदाय के प्रयासों की सराहना करते हुए मंत्री ने कहा, ‘‘यह परियोजना वैज्ञानिक और सार्वजनिक समुदाय के बीच सहयोगात्मक भावना का प्रतीक है, जो वास्तव में राष्ट्रीय गौरव का विषय है।’’

अधिकारियों ने बताया कि सीतारमण ने चुशुल गांव का भी दौरा किया और ‘रेजांग ला’ युद्ध स्मारक पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की तथा उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इस युद्ध स्मारक का निर्माण 1963 में चुशुल के मैदानों में 15,000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर, सीमा पर 13 कुमाऊं रेजिमेंट की चार्ली कंपनी के सैनिकों के सम्मान में किया गया था, जिन्होंने 18 नवंबर, 1962 को पूर्वी लद्दाख में कैलाश पर्वतमाला पर रेजांग ला और आसपास के क्षेत्रों की रक्षा की थी।

पुनर्निर्मित रेजांग ला युद्ध स्मारक 18 नवंबर, 2021 को राष्ट्र को समर्पित किया गया।

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