सिद्धरमैया ने 16वें वित्त आयोग से केंद्रीय करों में अधिक हिस्सा मांगा

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नयी दिल्ली, 13 जून (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया से मुलाकात में एक अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए केंद्रीय करों से राज्य के लिए अधिक आवंटन मांगा।

सिद्धरमैया ने बेंगलुरु के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 1.15 लाख करोड़ रुपये के निवेश की भी मांग की।

पनगढ़िया के साथ एक घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में सिद्धरमैया ने कहा कि देश की आबादी में सिर्फ पांच प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद कर्नाटक राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 8.7 प्रतिशत का योगदान करता है और जीएसटी संग्रह में दूसरे स्थान पर है। इसके बावजूद कर्नाटक को मिलने वाले ”राजस्व प्रतिफल में भारी असंतुलन” है।

मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ”राजस्व प्रतिफल में असंतुलन इतना अधिक है कि कर्नाटक को केंद्रीय करों में योगदान देने वाले प्रत्येक रुपये के बदले में केवल 15 पैसे ही मिलते हैं।”

सिद्धरमैया ने कहा, ”यह बैठक बहुत सौहार्दपूर्ण रही और चेयरमैन हमारी मांगों के प्रति बहुत सकारात्मक थे। मैंने केंद्रीय करों से राज्य को अधिक आवंटन की मांग करते हुए एक अतिरिक्त ज्ञापन सौंपा है।”

उन्होंने कहा कि यदि केंद्र का उपकर और अधिभार संग्रह पांच प्रतिशत से अधिक हो जाता है तो इसे विभाज्य पूल के अंतर्गत लाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ”केंद्र विभिन्न वस्तुओं पर उपकर और अधिभार लेता है। इसमें हमारा कोई हिस्सा नहीं है। इसे भारत सरकार रखती है। यदि वे पांच प्रतिशत से अधिक एकत्र करते हैं तो इसे विभाज्य पूल के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है और उन्होंने चेयरमैन से अनुरोध किया कि वह किसी भी राज्य के साथ अन्याय न करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग (2021-26) के तहत केंद्रीय कर राजस्व में कर्नाटक का हिस्सा काफी कम होकर 3.64 प्रतिशत रह गया, जबकि 14वें वित्त आयोग की अवधि (2015-20) में यह 4.71 प्रतिशत था।

केंद्रीय करों से सभी राज्यों को आवंटित कुल हिस्सा 2021-26 के लिए घटाकर 41 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि इसके पहले यह 42 प्रतिशत था। ऐसा मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के चलते हुआ। इसके कारण कर्नाटक के कर आवंटन में प्रतिशत और वास्तविक रूप में गिरावट आई।

वित्त आयोग को 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी सिफारिशें देनी हैं। इसके लिए वह विभिन्न राज्य सरकारों से चर्चा कर रहा है।

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