
डॉ. बालमुकुंद पांडेय
भारत एवं पाकिस्तान के मध्य संबंधों में तनाव दोनों देशों के अभ्युदय काल से रहा हैं । वर्ष 1947, वर्ष 1965, वर्ष 1971, वर्ष 1988 का सियाचिन टकराव, वर्ष 1999 का कारगिल सैन्य टकराव ,पहलगाम में आतंकवादी घटनाएं एवं 2025 का पुलवामा आतंकी घटना दोनों देशों के मध्य सैनिक टकराव, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी कृत्य , विश्वास बहाली में मनों मालिन्य एवं अनर्गल आरोपों से भारतीय नेतृत्व को पाकिस्तान से निराशा, अविश्वास एवं अवैज्ञानिक आरोपों से भारत का नेतृत्व अप्रसन्न है।’ ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सशस्त्र सेनाओं द्वारा मई 6 एवं मई 7 की रात को पाकिस्तान एवं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर( पीओके) में किए गए एक सैनिक कार्रवाई का कूटनाम हैं । भारत का कहना है कि इसका उद्देश्य पाकिस्तान एवं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर(पीओके ) में आतंकवाद, दहशतगर्दी एवं सीमापार आतंकवादी ढांचे को समाप्त करना है।
‘ ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर पाकिस्तान द्वारा वैश्विक मंच, वैश्विक विश्व व्यवस्था, समकालीन वैश्विकगुट एवं वैश्विक राष्ट्र – राज्यों के मध्य गलत एवं तथ्यहीन दुष्प्रचार के कारण भारत की वैश्विक स्तर पर रक्षात्मक नीति को धूल धूसरित करने , पश्चिमी पालक राष्ट्र – राज्यों को मनगढ़ंत तथ्यों के द्वारा गुमराह कर वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था में भारत की छवि को नकारात्मक प्रस्तुत करने के कारण भारत ने पाकिस्तान के गंदी सोच एवं आतंकवाद के पक्ष पोषण के कारण भारत के सैनिक कार्रवाई को पाकिस्तान अपनी आंतरिक संप्रभुता में हस्तक्षेप एवं देश पर बलात आक्रमण बताकर प्रचारित कर रहा हैं. ऐसे कटु दुष्प्रचार एवं छद्म कूटनीति से सुरक्षार्थी भारत सरकार ने 33 देशों में सांसदों के 51प्रतिनिधि मंडलों को भेज कर पाकिस्तान के छद्म कूटनीति को स्पष्ट करने एवं पाकिस्तान के आतंकवाद के घृणित कृत्य को उजागर करने का प्रयास किया हैं । यह भारत सरकार के दूरगामी कूटनीतिक रणनीति का महत्वपूर्ण भाग है।
भारत का वैश्विक स्तर पर संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का उद्देश्य वैश्विक देशों में पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद को बताना एवं भारत के धैर्य एवं साहस को भी प्रचारित करना हैं कि भारत आतंकवाद एवं सीमापार दहशतगर्द से त्रस्त रहा है, फिर भी पड़ोसियों के प्रति अपने मानवीय धर्म को रखकर चला है। इसका लक्ष्य आतंकवादी गतिविधियों एवं पाकिस्तान के नीतियों के विरुद्ध भारत की एकजूटता को प्रदर्शित करना, पाकिस्तान को वैश्विक राजनीति से अलग-थलग करना एवं उसके समर्थकों को बेनकाब करना हैं । वैश्विक स्तर पर यह संदेश देना है कि पाकिस्तान की रीति-नीति एवं आतंकियों को समर्थन एवं संरक्षण संपूर्ण वैश्विक व्यवस्था के लिए खतरा एवं नुकसानदायक हैं । भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। पाकिस्तान एक इस्लामिक राज्य (देश ) हैं जिसमें मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक हैं । भारत ने इसके प्रत्युतर में प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल के समूह में मुस्लिम जन प्रतिनिधियों को शामिल किया हैं । भारत में विश्व के सबसे वृहद लोकतांत्रिक राज्य के आदर्शों एवं मूल्यों को भी संप्रेषित किया है। यह भी वैश्विक स्तर पर संदेश दिया है कि विश्व के सबसे वृहद लोकतांत्रिक राष्ट्र की नीतियां पूरी तरह स्पष्ट है।
प्रतिनिधिमंडल में सम्मिलित सदस्यों ने वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के असली चरित्र को उजागर किया हैं बल्कि यह भी संदेश दिया है कि भारत के राजनीतिक दलों के भीतर आपसी तनाव के बाद भी राष्ट्रीय हित के विषयों पर एकरूपता हैं । भारत मूल रूप से एक हैं एवं सभी नागरिकों में ‘ स्व ‘ की प्रधानता हैं। इन प्रतिनिधि मंडलों ने भारत की समावेशी राजनीति के आयाम को प्रस्तुत किया हैं । भारत राजनीतिक रूप से एक हैं । भारत की राजनीतिक संस्कृति ‘ स्व’ का प्रतिनिधित्व करती हैं । भारत की लोकतांत्रिक संस्कृति पूरी तरह से स्पष्ट है। पाकिस्तान वैश्विक स्तर पर भारत के विरुद्ध भ्रम एवं भ्रांतियां फैलता रहा हैं ,एवं भारत का डर (भय) दिखाकर वैश्विक स्तर से मानवीय सहानुभूति एवं आर्थिक सहयोग मांग रहा है। पाकिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई को युद्ध की स्थिति बता रहा है। भारत का सामाजिक क्षेत्र, आर्थिक क्षेत्र, राजनीतिक क्षेत्र एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में पड़ोसियों के प्रति “बड़े भाई ” की रही हैं। प्रत्येक प्राकृतिक आपदा में भारत ने पड़ोसियों को आत्मीयता के साथ सहयोग किया हैं ।
पाकिस्तान के नाटकीय रवैए को विध्वंस करने के लिए भारत की यह कार्यवाही अति आवश्यक थी । वर्तमान में पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद( यूएनएससी) का अस्थाई सदस्य है। इस पर वरिष्ठ पत्रकार श्री रतन मणिलाल कहते हैं कि ” सुरक्षा परिषद का अस्थाई सदस्य होने का लाभ उठाकर पाकिस्तान पहलगाम आतंकी हमले एवं भारत सरकार द्वारा निर्देशित ‘ ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर वैश्विक स्तर पर झूठ एवं भ्रम प्रचारित कर रहा है। पाकिस्तान में आतंकियों को मिल रहे संरक्षण से वैश्विक समुदाय से ध्यान हटाने के लिए भारत में मुसलमानों के अस्तित्व पर खतरा बता रहा है ! वह भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा एवं सैनिक क्षमता को चुनौती दे रहा है। भारत वैश्विक स्तर की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर हैं । इन सभी घटनाओं को देखते हुए पाकिस्तान के प्रत्येक दुष्प्रचार का विवेकी, तार्किक एवं वैज्ञानिक जवाब देना अत्यावश्यक है।”
पूरी आतंकवादी घटना एवं पुलवामा आतंकवादी घटना के पश्चात कश्मीर पर्यटन पर गए पर्यटकों की पहलगाम में धर्म पूछ कर आतंकियों के हाथों क्रूर एवं निर्शंश हत्या के पश्चात भारत ने ‘ ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को नष्ट किया हैं । भारत ने पाकिस्तान की तरफ से की गई गोलाबारी का आक्रामक जवाब दिया एवं उसके सभी मिसाइल एवं ड्रोन मिसाइल को भी निष्फल कर दिया और पाकिस्तान के कई एयरबेस और अन्य महत्वपूर्ण स्थान पर सटीक निशाना साधकर तबाह कर पूरे वैश्विक स्तर पर अपने सैन्य क्षमता एवं राजनीतिक कौशल को प्रमाणित किया हैं । ड्रोन एवं मिसाइल हमले में नाकाम पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार किया हैं . उसके प्रत्युत्तर में भारत सरकार ने सभी राजनीतिक दलों के बीच से प्रतिनिधिमंडल भेजकर वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार का समयानुकूल जवाब दिया है । तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर भारत के लिए दुनिया को यह विश्वास दिलाना अत्यावश्यक हैं कि वह 21वीं सदी का सशक्त भारत हैं।भारत अपने सीमाओं के भीतर अशांति फैलाने वाले, दहशतगर्द एवं अराजकता फैलाने वालों को कठोर दंड एवं मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम एवं सामर्थ्यवान है।
भारत अनाक्रमण एवं शांति के मौलिक सिद्धांत में विश्वास करता हैं। भारत संयुक्त राष्ट्र के मौलिक सिद्धांत में अटूट विश्वास करता हैं । वह साम्राज्यवाद ,तानाशाही एवं फासीवाद का पुरजोर विरोध करता है। भारत ने हमले को इसलिए रोकने का प्रयास किया क्योंकि वह “वसुधैव कुटुंबकम” के संकल्प पर चलने वाला प्रतिबद्ध राष्ट्र है। वह शांति से रहने वाला देश हैं और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के साथ भी शांति से रहने की अपेक्षा करता है। संसदीय प्रतिनिधि मंडल ने अपने राजनीतिक कौशल एवं विवेकी सूझबूझ से पाकिस्तान को वैश्विक समुदाय को आतंकवाद का प्रस्तोता समझाने में सफल रहे हैं। आतंकवाद के उन्नयन में पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान की भूमिका को संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने विश्व व्यवस्था एवं वैश्विक समुदाय के सामने उजागर करने में विशेष योगदान दिया है। पाकिस्तान अपने आतंकवादी गतिविधियों से भारत के बहुलतावादी, उदार दृष्टिकोण एवं लोकतांत्रिक समाज के व्यवस्था को विक्षोभित करना चाहता हैं । प्रतिनिधिमंडल ने अपने रणनीति कौशल एवं कूटनीतिक कौशल से भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं भाषाई विविधता के महत्व को वैश्विक समुदाय में तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया है।
भारत सरकार ने इन समूहों के सहयोग से वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के सामरिक सहयोगियों को वैश्विक स्तर पर अलग – थलग करके कूटनीतिक सफलता प्राप्त की हैं. आतंकवाद, चरमपंथ, मानव तस्करी एवं दहशत गर्दी को समाप्त करना है। कोई भी देश आतंकवाद का पक्ष पोषण, आतंकवाद का वित्त पोषण एवं आतंकवादी गतिविधियों का संरक्षण देकर भारत में अशांति पैदा करने की कोशिश करेगा तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऐसी दुस्साहसिक घटना का जवाब धैर्य एवं बड़ी शक्ति प्रहार से दिया जाएगा। पड़ोसी देश पाकिस्तान के अब तक के छद्म,अविश्वास, एवं अकल्पनीय व्यवहार के लिए सुझाव है।
1). भारत एवं पाकिस्तान के मध्य सौहार्द संबंध के उन्नयन के लिए ट्रैक- 3राजनय एवं ट्रैक – 4 राजनय का सहयोग लेना समय की मांग है; (2). दोनों देशों के विदेश मंत्रियों एवं रक्षा मंत्रियों को मासिक बैठक करके मनों मालिन्य एवं विश्वास बहाली का निजात करना चाहिए; (3). कूटनीतिक प्रतिनिधि प्रतिनिधिमंडल के संचेतना से वैश्विक स्तर पर निवेश के आगमन में सुरक्षा हैं । इससे यह संकेत गया है कि संसार के उद्यमियों को उद्योग विस्तार के लिए भारत सुरक्षित गंतव्य है; (4). कूटनीतिक प्रवास से भारत भी वैश्विक स्तर पर सैन्य सामग्री का निर्यात करने वाले प्रमुख देशों की सूची में सम्मानजनक स्थान प्राप्ति की संभावना है ; (5). भारत को पाकिस्तान के प्रति नरम एवं प्रखर संबंध रखने वाले देशों से कूटनीतिक एवं राजनीतिक मजबूती से संबंध उन्नयन करना होगा;एवं (6). भारत को समकालीन परिप्रेक्ष्य में शक्तिसंपन्न राष्ट्र एवं आत्मनिर्भर राष्ट्र होने के लिए साहसिक एवं कूटनीतिक निर्णय लेना होगा।
डॉ. बालमुकुंद पांडेय
राष्ट्रीय संगठन सचिव, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना दिल्ली केशवकुंज