मलेशिया की सरकारी एजेंसी ने पतंजलि समूह को 15 लाख पाम बीज की आपूर्ति की

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Patanjali

किनाबाटांगन (मलेशिया), 17 जून (भाषा) मलेशिया की सरकारी एजेंसी सावित किनाबालु समूह ने भारतीय उपभोक्ता सामान कंपनी पतंजलि समूह को अभी तक पाम के 15 लाख बीज की आपूर्ति की है।

मलेशिया की इस सरकारी एजेंसी ने पतंजलि समूह के साथ पांच साल का अनुबंध किया है जो 2027 में समाप्त हो रहा है। इस अवधि में एजेंसी पाम के कुल 40 लाख बीज की आपूर्ति करेगी।

मलेशिया, भारत को पाम तेल का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, लेकिन यह पहली बार है जब किसी सरकारी एजेंसी ने पाम के बीजों की आपूर्ति के लिए समझौता किया है।

यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब भारत, पाम तेल के लिए आयात पर निर्भरता कम करने के वास्ते घरेलू स्तर पर इसकी खेती को प्रोत्साहित कर रहा है।

इस अनुबंध पर सावित किनाबालु समूह की बीज से जुड़ी अनुषंगी कंपनी ने हस्ताक्षर किए हैं। यह अनुषंगी कंपनी हर वर्ष पाम के एक करोड़ बीजों को संसाधित करती है।

समूह की बीज इकाई के महाप्रबंधक डॉ. जुरैनी ने कहा, ‘‘ हमने पतंजलि समूह के साथ पाम के 40 लाख बीज की आपूर्ति के लिए पांच वर्ष का अनुबंध किया है। हमने अब तक 15 लाख बीज वितरित किए हैं।’’

अधिकारी ने बताया कि बीज आपूर्ति के अलावा कंपनी की ओर से परामर्श सेवाएं दी जाएंगी, कृषि विशेषज्ञों द्वारा उत्पादन स्थल का दौरा किया जाएगा और रोपित बीजों की गुणवत्ता की निगरानी की जाएगी।

समूह के मुख्य सतत अधिकारी नजलान मोहम्मद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ भारत में रोपित हमारे बीज बेहतर उपज दे रहे हैं। पूर्वोत्तर में लगाए गए पौधे अच्छी स्थिति में हैं।’’

मोहम्मद ने कहा कि मलेशिया की सरकार कुछ क्षेत्रों में पाम की पुनः रोपाई के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है, इसलिए स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए सरकारी एजेंसी को भारत को बीज की आपूर्ति सीमित करनी होगी।

हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकारी एजेंसी पाम के बीज की आपूर्ति के लिए अधिक भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग करने को इच्छुक है।

पतंजलि समूह, पूर्वोत्तर भारत में ‘पाम तेल मिल’ स्थापित करने की योजना बना रहा है, जिसके 2026 तक चालू होने की उम्मीद है।

भारत में वर्तमान में लगभग 3,69,000 हेक्टेयर भूमि पर पाम की खेती होती है, जिसमें से करीब 1,80,000 हेक्टेयर पर पाम लगभग तैयार है।

खेती का क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है जो 2024 तक लगभग 375,000 हेक्टेयर तक पहुंच गया। निकट भविष्य में इसमें 80,000 से 1,00,000 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र जुड़ने की उम्मीद है।

सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक 66 लाख हेक्टेयर तक विस्तारित करना है, जिससे 28 लाख टन पाम तेल का उत्पादन हो सकेगा।

वित्त वर्ष 2021-22 में शुरू किया गया ‘नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-पाम ऑयल’ (एनएमईओ-ओपी) पाम की खेती को बढ़ावा देने की केंद्र सरकार की प्रमुख योजना है। इसके तहत मुख्य तौर पर पूर्वोत्तर भारत और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

भारत के पाम तेल के कुल उत्पादन में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल की 98 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

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