राहुल चुनावी हारों से हताश होकर आरोप लगा रहे हैं : जेपी नड्डा

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नयी दिल्ली, सात जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल गांधी द्वारा 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को ‘लोकतंत्र में धांधली करने का ब्लूप्रिंट’ करार दिये जाने पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए शनिवार को कहा कि कांग्रेस नेता कई चुनाव में हार से दुखी और हताश है और इसलिए ‘‘विचित्र साजिशें रचने का’’ आरोप लगा रहे हैं।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को आरोप लगाया कि 2024 का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव ‘‘लोकतंत्र में धांधली का ब्लूप्रिंट’’ थे। उन्होंने कहा कि यह ‘‘मैच फिक्सिंग’’ अब बिहार में भी दोहराई जाएगी और फिर उन जगहों पर भी ऐसा ही किया जाएगा, जहां-जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हार रही होगी।

राहुल ने लिखा, ‘‘मैंने अपने लेख में चरण दर चरण विस्तार से बताया है कि कैसे यह साजिश रची गई : चरण 1: निर्वाचन आयोग की नियुक्ति करने वाली समिति पर कब्जा किया गया। चरण 2: फर्जी मतदाताओं को सूची में जोड़ा गया। चरण 3: मतदान प्रतिशत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए। चरण 4: जहां भाजपा को जिताना था, वहां लक्षित करके फर्जी मतदान कराया गया। चरण 5: सबूतों को छिपा दिया गया।’’

नड्डा ने पलटवार करते हुए कहा कि गांधी का लेख ‘फर्जी विमर्श गढ़ने का एक ब्लूप्रिंट’है, क्योंकि वह लगातार चुनाव हारने से दुखी और हताश हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘वह इसे चरण दर चरण इस प्रकार करते हैं। चरण 1: कांग्रेस पार्टी अपनी हरकतों के कारण चुनाव दर चुनाव हारती है। चरण 2: आत्मनिरीक्षण करने के बजाय, वह विचित्र षड्यंत्र रचते हैं और धांधली का रोना रोते हैं। चरण 3: सभी तथ्यों और आंकड़ों की अनदेखी करते हैं। चरण 4: बिना सबूत के साथ संस्थाओं को बदनाम करते हैं।’’

भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘चरण 5: तथ्यों की अपेक्षा सुर्खियों की उम्मीद करना। बार-बार पोल खुलने के बावजूद, वह बेशर्मी से झूठ फैलाते रहते हैं। और, वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि बिहार में उनकी हार निश्चित है।’’

नड्डा ने कहा कि लोकतंत्र को नाटक की नहीं, बल्कि सच्चाई की जरूरत है।

राहुल गांधी ने जोर दिया कि ‘‘मैच फिक्स’’ किए गए चुनाव लोकतंत्र के लिए जहर हैं। उन्होंने कहा कि जो पक्ष धोखाधड़ी करता है, वो भले ही जीत जाए, लेकिन इससे लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होती हैं और जनता का नतीजों से भरोसा उठ जाता है।

अपने लेख में गांधी ने आरोप लगाया कि मतदान प्रतिशत को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया।

उन्होंने लिखा, ‘‘महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98 करोड़ थी। पांच साल बाद मई 2024 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 9.29 करोड़ हुई। इसके सिर्फ पांच महीने बाद नवंबर, 2024 के विधानसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 9.70 करोड़ हो गई। यानि पांच साल में 31 लाख की मामूली वृद्धि, वहीं सिर्फ पांच महीने में 41 लाख की जबरदस्त बढ़ोतरी।’’

अपने लेख में उन्होंने लिखा, ‘‘मतदाताओं को संख्या 9.70 करोड़ पहुंचना असामान्य है, क्योंकि सरकार के खुद के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र के वयस्कों की कुल आबादी 9.54 करोड़ है।’’

चुनाव के दिन मतदान प्रतिशत में वृद्धि की ओर इशारा करते हुए गांधी ने कहा, ‘‘शाम पांच बजे तक मतदान प्रतिशत 58.22 था। मतदान खत्म होने के बाद भी मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ता रहा। अगली सुबह जो आखिरी आंकड़ा आया, वह 66.05 प्रतिशत था।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘यानी मतदान प्रतिशत में 7.83 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी हुई, जो करीब 76 लाख वोट के बराबर है। वोट प्रतिशत में ऐसी बढ़ोतरी महाराष्ट्र के पहले के किसी भी विधानसभा चुनाव से कहीं ज्यादा थी।’’

उन्होंने राज्य के 85 निर्वाचन क्षेत्रों में केवल 12,000 मतदान केंद्र पर नए मतदाताओं को जोड़ने की ओर भी इशारा किया, जहां आखिरकार भाजपा की जीत हुई।

नड्डा ने राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में समाचार पोर्टल ‘ऑपइंडिया’ पर प्रकाशित एक लेख साझा किया, जिसमें गांधी के आरोपों का खंडन किया गया है।

भाजपा ने राहुल गांधी पर चुनावी प्रक्रिया में लोगों के विश्वास को कम करने के लिए लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला करने का आरोप लगाया। पार्टी ने दावा किया कि वह आगामी चुनावों में अपनी पार्टी की हार को रोकने के लिए ऐसा कर रहे हैं, क्योंकि वह जनता का समर्थन हासिल नहीं कर सकते।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने आरोप लगाया कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष एक सुनियोजित साजिश के तहत लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनावों में हारने वाली है।

भंडारी ने आरोप लगाया कि राहुल चुनावी प्रक्रिया में लोगों के विश्वास को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि वह अपनी पार्टी के पक्ष में जनता का समर्थन हासिल करने में असमर्थ हैं। उन्होंने कांग्रेस नेता को ‘‘लोकतंत्र विरोधी’’ करार दिया।

भाजपा के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी के आरोपों की आलोचना करते हुए कहा कि वह जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया के बारे में मतदाताओं के मन में संदेह और असंतोष के बीज बोने का बार-बार प्रयास कर रहे हैं।

मालवीय ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी को यह समझ नहीं है कि चुनावी प्रक्रिया कैसे काम करती है। वह इसे बहुत अच्छी तरह समझते हैं। लेकिन उनका लक्ष्य स्पष्टता नहीं है; यह अराजकता है। हमारी संस्थागत प्रक्रियाओं को लेकर मतदाताओं के मन में संदेह और भ्रम के बीज बोने के उनके बार-बार किए जा रहे प्रयास सुनियोजित हैं।”

भाजपा नेता ने रेखांकित किया कि जब कांग्रेस चुनाव जीतती है, चाहे वह तेलंगाना हो या कर्नाटक तब उसी प्रणाली की ‘‘निष्पक्ष और न्यायपूर्ण’’ कहकर प्रशंसा की जाती है।

मालवीय ने कहा, ‘‘ लेकिन जब वे हार जाते हैं – हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक – तो रोना-धोना और षड्यंत्र का विमर्श शुरू हो जाता हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सीधे जॉर्ज सोरोस की रणनीति है – लोगों के अपने ही संस्थानों पर विश्वास को योजनाबद्ध तरीके से कमजोर करना, ताकि उन्हें भीतर से तोड़कर राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।’’

मालवीय ने कहा, ‘‘भारत का लोकतंत्र मजबूत है। इसकी संस्थाएं सुदृढ़ हैं। और भारतीय मतदाता समझदार है। किसी भी तरह की हेराफेरी से इसमें कोई बदलाव नहीं आएगा।’’

भंडारी ने राहुल के आरोप पर कहा कि महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में वृद्धि एक नियमित प्रशासनिक प्रवृत्ति है, न कि कोई साजिश। उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठाने के लिए ‘‘झूठ फैला रहे हैं’’।

भंडारी ने गांधी के दावों को ‘‘असंगत और सुनियोजित’’ करार देते हुए कहा कि कांग्रेस नेता ने 19 जनवरी को दावा किया था कि एक करोड़ फर्जी मतदाता जोड़े गए हैं, फिर उन्होंने तीन फरवरी को यह आंकड़ा बदलकर 70 लाख कर दिया और सात फरवरी को इसे घटाकर 39 लाख कर दिया।

भंडारी ने सवाल किया, ‘‘कांग्रेस के एक प्रतिशत उम्मीदवारों ने भी औपचारिक रूप से फॉर्म 17सी का उपयोग करके शिकायत दर्ज नहीं कराई – जो ईवीएम आंकड़ों को चुनौती देने का कानूनी तरीका है। अगर कांग्रेस वास्तव में मानती थी कि नतीजों में धांधली हुई है, तो उसके उम्मीदवारों ने फॉर्म 17सी डेटा के साथ जिलाधिकारी से संपर्क क्यों नहीं किया?’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘क्योंकि यह साक्ष्य का मामला नहीं है, यह विमर्श की लड़ाई का मामला है।’’

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