मुंबई, चार जून (भाषा) मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस और इसकी स्थानीय इकाई इक्रा रेटिंग्स ने बुधवार को कहा कि भारतीय कंपनियां सीमा शुल्क और भू-राजनीतिक दबाव के प्रभाव से निपटने के लिए अच्छी स्थिति में हैं।
हालांकि, उन्होंने कहा कि बाहरी चुनौतियों के कारण भारतीय उद्योग जगत नए वित्त वर्ष में निवेश के निर्णय बहुत सोच-समझकर करेंगी।
मूडीज के बयान में कहा कि भारत की गैर-वित्तीय कंपनियां घरेलू खपत पर ध्यान केंद्रित करने और निर्यात पर कम निर्भरता के कारण अमेरिकी आयात शुल्क से सीधे प्रभावित नहीं होती हैं।
इसने कहा कि निजी खपत को बढ़ावा देने, विनिर्माण क्षमता का विस्तार करने और बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने की सरकारी पहल वैश्विक मांग के कमजोर दृष्टिकोण को दूर करने में मदद करेगी।
मूडीज ने कहा, ‘‘बाहरी चुनौतियों के बीच निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय सोच-समझकर किया जाएगा।’’
भारतीय कंपनियां घरेलू खपत में लगातार हो रही बढ़ोतरी को पूरा करने के लिए क्षमता सृजन में निवेश करना जारी रखेंगी।
मूडीज का अनुमान है कि उसके द्वारा रेटिंग प्राप्त गैर-वित्तीय कंपनियां अगले दो वर्षों में पूंजीगत व्यय में सालाना लगभग 50 अरब डॉलर खर्च करेंगी। इसने कहा कि अधिकांश कंपनियां आंतरिक स्रोतों से खर्च करेंगी।
मूडीज रेटिंग्स के प्रबंध निदेशक विकास हलन ने कहा कि भारत की विनिर्माण वृद्धि कुशल श्रम की अपर्याप्तता, विकसित हो रहे लॉजिस्टिक बुनियादी ढांचे और भूमि एवं श्रम से संबंधित जटिल कानूनों जैसी चुनौतियों से बाधित होगी।
इक्रा के मुख्य रेटिंग अधिकारी के. रविचंद्रन ने कहा कि आयकर राहत, ब्याज दरों में कटौती और खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी के कारण वित्त वर्ष 2025-26 में शहरी खपत में सुधार होने की उम्मीद है जिससे वाहन, उपभोक्ता वस्तुओं और सेवा क्षेत्रों को लाभ होगा।