झारखंड : बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री ने श्रद्धांजलि दी

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रांची, नौ जून (भाषा) झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की तथा कहा कि उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई के लिए अपना बलिदान दिया।

पंद्रह नवंबर 1875 को जन्मे मुंडा ने अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासी विद्रोह का नेतृत्व किया था। उनकी नौ जून 1900 को हिरासत में 25 साल की उम्र में मृत्यु हो गयी थी।

गंगवार ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आदिवासी पहचान, संस्कृति और स्वाभिमान के प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा जी की पुण्यतिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं और अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उन्होंने मातृभूमि की आजादी के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।’’

उन्होंने राजभवन और कोकर स्मारक में आदिवासी योद्धा की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।

मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान (क्रांति) का नेतृत्व करने वाले ‘धरती आबा’ (बिरसा मुंडा) के आदर्श हमेशा भावी पीढ़ियों को देशभक्ति और अन्याय के खिलाफ संघर्ष का मार्ग दिखाते रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने यहां बिरसा चौक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।

बाद में सोरेन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के जीवन संघर्ष और आदर्श हमें हमेशा प्रेरित करते रहेंगे। झारखंड के वीर शहीद अमर रहें। जय बिरसा, जय झारखंड।’’

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन ने भी बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि दी तथा कहा कि आदिवासियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए ‘‘युद्ध छेड़ने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज एक महान आदिवासी हस्ती की पुण्यतिथि है। एक बार फिर, हम आदिवासियों से अपने पवित्र स्थलों और विरासत की रक्षा के लिए आगे आने का आह्वान करते हैं। झारखंड के अस्तित्व के 25 वर्षों के बावजूद आदिवासी हित और कल्याण पीछे छूट गये हैं, इसलिए ‘उलगुलान’ (विद्रोह) की आवश्यकता है।’’

यहां 357 करोड़ रुपये के फ्लाईओवर के उद्घाटन का जिक्र करते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासी समुदाय को जो ‘नुकसान’ हुआ है, उसे भुलाया नहीं जाएगा। आदिवासी समुदाय ने सिरमटोली में रैंप के निर्माण को लेकर अपनी आशंका व्यक्त की है।

हेमंत सोरेन ने पिछले सप्ताह राज्य की राजधानी रांची में यातायात को सुगम बनाने के लिए फ्लाईओवर का उद्घाटन किया था।

यह उद्घाटन आदिवासी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद हुआ, जो पवित्र धार्मिक स्थल माने जाने वाले सरना स्थल के पास सिरमटोली में बने रैंप को ध्वस्त करने की मांग कर रहे थे।

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