गुवाहाटी, नौ जून (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार अवैध विदेशियों की पहचान करने और उन्हें देश से बाहर निकालने के लिए 1950 के कानून को लागू करेगी।
मुख्यमंत्री शर्मा ने दावा किया कि यह कानून जिला आयुक्तों को अवैध विदेशियों को अवैध घोषित करने और उन्हें देश से बाहर निकालने का अधिकार देता है।
विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान शर्मा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नागरिकता को महत्व नहीं देती, क्योंकि इसके एक नेता के परिवार के चार सदस्यों में से तीन विदेशी हैं।
यह टिप्पणी कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष गौरव गोगोई पर एक स्पष्ट कटाक्ष था, जो उस समय विधानसभा में सत्तापक्ष की बेंचों के सामने, आगंतुक दीर्घा में बैठे थे।
अवैध विदेशियों की पहचान करने और उन्हें वापस भेजने के मुद्दे पर जवाब देते हुए शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार इस उद्देश्य के लिए अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 को लागू करेगी।
यह कानून जिला आयुक्त को अवैध विदेशियों को अवैध घोषित करने और उन्हें देश से बाहर निकालने का अधिकार देता है।
शर्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने हाल ही में फैसला दिया है कि यह अधिनियम प्रभावी है और सरकार इसके प्रावधानों के तहत कार्रवाई कर सकती है।
उन्होंने कहा कि हाल के महीनों में 300 से अधिक अवैध बांग्लादेशियों को वापस भेजा गया है।
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा था कि विदेशी नागरिकों की पहचान की प्रक्रिया बेहद सावधानी से की जानी चाहिए, क्योंकि नागरिकता किसी भी व्यक्ति की सबसे मूल्यवान संपत्ति होती है। इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कांग्रेस पर अपने हमले और तेज कर दिए।
उन्होंने कहा, “रफीकुल इस्लाम ने कहा है कि नागरिकता सबसे मूल्यवान संपत्ति है, लेकिन कांग्रेस के लिए ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि उनके यहां एक परिवार में चार सदस्यों में से तीन विदेशी हैं।”
शर्मा लगातार दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की पत्नी ने अपनी ब्रिटिश नागरिकता बनाए रखी है और उनके दो बच्चे भी भारतीय नागरिक नहीं हैं।