लंदन, 21 मई (भाषा) लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बानू मुश्ताक के कन्नड लघु कथा संग्रह ‘हृदय दीप’ के अनूदित संस्करण ‘हार्ट लैंप’ को लंदन में अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
यह पहली कन्नड कृति है जिसे 50,000 पाउंड के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है।
मुश्ताक ने मंगलवार रात ‘टेट मॉडर्न’ में एक समारोह में अपनी इस रचना की अनुवादक दीपा भास्ती के साथ पुरस्कार प्राप्त किया। मुश्ताक ने अपनी इस जीत को विविधता की जीत बताया है।
उनकी 12 लघु कहानियों का यह संग्रह दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समुदाय में हर दिन महिलाओं के लचीले रुख, प्रतिरोध और उनकी हाजिरजवाबी का वर्णन करता है, जिसे मौखिक कहानी कहने की समृद्ध परंपरा के माध्यम से जीवंत रूप दिया गया है।
छह विश्वव्यापी कथा संग्रह में से चयनित मुश्ताक की कृति ने परिवार और सामुदायिक तनावों को चित्रित करने की उनकी ‘‘मजाकिया, बोलचाल की भाषा के इस्तेमाल, मार्मिक और कटु’’ शैली के लिए निर्णायकों को आकर्षित किया।
मुश्ताक ने कहा, ‘‘यह पुस्तक इस विश्वास से पैदा हुई है कि कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती और मानवीय अनुभव के ताने-बाने में बुना गया हर धागा पूरी कहानी का भार उठाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी दुनिया में जो अक्सर हमें विभाजित करने की कोशिश करती है, साहित्य उन खोई हुई पवित्र जगहों में से एक है जहां हम एक-दूसरे के मन में रह सकते हैं, भले ही कुछ पन्नों के लिए ही क्यों न हो।’’
अनुवादक भास्ती ने कहा, ‘‘मेरी खूबसूरत भाषा के लिए यह कितनी खूबसूरत जीत है।’’
अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2025 के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष मैक्स पोर्टर ने विजेता कथा संग्रह को अंग्रेजी पाठकों के लिए वास्तव में कुछ नया बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘एक क्रांतिकारी अनुवाद जो भाषा को बुनता है, अंग्रेजी की बहुलता में नयी बनावट बनाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह अनुवाद की हमारी समझ को चुनौती देता है और उसका विस्तार करता है। यह वो किताब थी जिसे निर्णायक मंडल ने पहली बार पढ़कर ही बहुत पसंद किया। निर्णायक मंडल के अलग-अलग दृष्टिकोणों से इन कहानियों की बढ़ती प्रशंसा को सुनना एक खुशी की बात है। हम अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2025 की विजेता को दुनिया भर के पाठकों के साथ साझा करते हुए रोमांचित हैं।’’
‘हार्ट लैंप’ यह पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला लघु कथा संग्रह भी है। इसमें मुश्ताक की 1990 से लेकर 2023 तक 30 साल से अधिक समय में लिखी कहानियां हैं।