केंद्रीय सचिव की दो मई की बैठक संबंधी तथ्य अदालत से ‘‘छिपाए’’ गए : पंजाब सरकार

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चंडीगढ़, 23 मई (भाषा) पंजाब सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्रीय गृह सचिव की दो मई की बैठक जल बंटवारे के मामले पर नहीं, बल्कि कानून एवं व्यवस्था के मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी और यह ‘‘तथ्य अदालत से छिपाया’’ गया।

मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की खंडपीठ ने पंजाब सरकार की उस याचिका पर दलीलें सुनीं जिसमें सरकार ने हरियाणा के लिए 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन के फैसले से संबंधित छह मई के आदेश की समीक्षा करने या उसमें संशोधन का अनुरोध किया है।

उच्च न्यायालय ने पंजाब को मोहन की अध्यक्षता में दो मई को हुई बैठक के निर्णय का पालन करने का छह मई को निर्देश दिया था।

पंजाब का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने सुनवाई के बाद पत्रकारों से कहा कि दो मई की बैठक कानून एवं व्यवस्था के संबंध में आयोजित की गई थी और यह ‘‘तथ्य अदालत से छिपाया’’ गया।

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने छह मई के अपने आदेश में इस बैठक का जिक्र किया था।

पंजाब सरकार ने तर्क दिया कि दो मई की बैठक हरियाणा के लिए अतिरिक्त पानी छोड़ने के एजेंडे पर चर्चा के लिए नहीं बुलाई गई थी।

पंजाब ने अपनी याचिका में पहले आपत्ति जताई थी कि केंद्रीय गृह सचिव पानी छोड़ने पर फैसला लेने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी नहीं हैं।

सिंह ने कहा कि पंजाब ने अदालत के समक्ष कहा है कि संविधान के तहत कानून एवं व्यवस्था का मुद्दा पंजाब सरकार का विशेषाधिकार है और कानून-व्यवस्था संबंधी स्थिति में वह पुलिस तैनात कर सकती है।

सिंह ने कहा, ‘‘हम भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के दिन-प्रतिदिन के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं।’’

उच्च न्यायालय ने छह मई के अपने आदेश में पंजाब और पुलिस कर्मियों सहित उसके विभागों को भाखड़ा-नंगल बांध के दैनिक कामकाज, संचालन और नियमन में ‘‘हस्तक्षेप’’ करने से रोक दिया था।

सिंह ने कहा कि केंद्र ने अदालत को सूचित किया था कि दो मई को उसने 4,500 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्णय लिया था और इस आधार पर हरियाणा के लिए पानी छोड़ा जाना चाहिए तथा इसके बाद अदालत ने पंजाब को दो मई के फैसले का पालन करने को कहा था।

सिंह के अनुसार, पंजाब ने कहा कि जल बंटवारे के मुद्दे पर बीबीएमबी द्वारा 28 अप्रैल को आयोजित बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका था।

इसके बाद हरियाणा ने बीबीएमबी अध्यक्ष को ज्ञापन देकर कहा कि बीबीएमबी नियमावली, 1974 के नियम सात के अनुसार मामले को केंद्र को भेजा जाए।

उन्होंने कहा कि इसके बाद 29 अप्रैल को मामला केंद्र को भेजा गया।

पंजाब ने कहा कि अदालत को यह भी नहीं बताया गया कि जल बंटवारे से संबंधित विवाद केंद्र सरकार को भेजा गया।

सिंह ने केंद्र, हरियाणा और बीबीएमबी पर उच्च न्यायालय के समक्ष तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि इस मामले में शुक्रवार को उच्च न्यायालय में बहस जारी रहेगी।

हरियाणा , बीबीएमबी और केंद्र ने पंजाब की याचिका पर 20 मई को अपने जवाब दाखिल किए थे।

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