कुल कर्ज में महानगरों की हिस्सेदारी पांच साल में घटकर 58.7 प्रतिशत पर: आरबीआई

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मुंबई, 30 मई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि बैंकों द्वारा दिए गए कुल कर्ज में महानगरों में स्थित शाखाओं की हिस्सेदारी मार्च, 2025 में घटकर 58.7 प्रतिशत रह गई, जो पांच साल पहले 63.5 प्रतिशत थी।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसका मुख्य कारण ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी शाखाओं में ऋण वृद्धि का तेजी से बढ़ना है।

आरबीआई ने कहा, ‘‘महानगरों की तुलना में ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में अधिक ऋण वृद्धि हुई है। इसके साथ कुल ऋण में मेट्रो शहरों की शाखाओं की हिस्सेदारी मार्च, 2025 में घटकर 58.7 प्रतिशत रह गई, जो पांच साल पहले 63.5 प्रतिशत थी।’’

केंद्रीय बैंक के अनुसार, दिलचस्प बात यह है कि जमा के नजरिए से महानगरों की बैंक शाखाएं अन्य समूहों की तुलना में अधिक वृद्धि दर्ज कर रही हैं।

इसमें कहा गया कि जमाराशि में प्रमुख हिस्सा रहीं महानगरीय क्षेत्रों में स्थित बैंक शाखाओं ने मार्च, 2025 में 11.7 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर्ज की, जबकि ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी केंद्रों में क्रमशः 10.1 प्रतिशत, 8.9 प्रतिशत और 9.3 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई।

पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में बैंक ऋण की कुल वृद्धि घटकर 11.1 प्रतिशत रह गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 15.3 प्रतिशत थी। जबकि इसी अवधि के दौरान जमा वृद्धि घटकर 10.6 प्रतिशत रह गई जो पहले 13 प्रतिशत होती थी।

आंकड़ों में बताया गया है कि सावधि जमा पर उच्च दरों के कारण बचत जमा की हिस्सेदारी घटकर 29.1 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले 30.8 प्रतिशत और दो साल पहले 33 प्रतिशत थी।

आरबीआई ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में सभी बैंक समूहों में ऋण वृद्धि में गिरावट देखी गई।

रिजर्व बैंक ने कहा कि व्यक्तिगत ऋणों में वृद्धि, जिसमें आवास, शिक्षा, वाहन, व्यक्तिगत क्रेडिट कार्ड, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं शामिल हैं, में तेजी से कमी आई और यह 13.2 प्रतिशत रह गई। रिजर्व बैंक ने कहा कि इसका हिस्सा अब 31 प्रतिशत हो गया है।

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