राम मंदिर के निर्माण में पेशेवर जीवन की ‘सबसे खास’ भूमिका निभाई : नृपेंद्र मिश्रा

0
ayodhya-ram-mandir-construction-uttar-pradesh

नयी दिल्ली,  राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के लिए अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण से जुड़े प्रयासों का नेतृत्व करना उनके करियर का “सबसे विशेष कार्य” था। मिश्रा का मानना ​​है कि इस काम के लिए खुद “ईश्वर ने उन्हें नियुक्त” किया था।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र और राजनीति विज्ञान तथा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जॉन एफ कैनेडी स्कूल से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर मिश्रा 1967 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं।

मुलायम सिंह के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के दौरान मिश्रा ने उनके प्रधान सचिव के रूप में काम किया था। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने (मिश्रा) उनके (मोदी के) प्रधान सचिव के रूप में सेवाएं दी थीं। वह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के प्रमुख भी रह चुके हैं।

मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष का पद कोई “ऐसा पद नहीं था, जिसकी प्रकृति के बारे में पहले से कुछ ज्ञात था।”

उन्होंने कहा, “एक लोक सेवक के रूप में हमारे लिए कोई भी काम पसंदीदा, कम पसंदीदा या ज्यादा पसंदीदा नहीं होता, क्योंकि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि उस समय की सरकार हमें क्या काम सौंपती है। हालांकि, अन्य सभी पदों की प्रकृति किसी न किसी रूप में पहले से ही परिभाषित थी, क्योंकि वे पद अस्तित्व में थे और उनके बारे में जानकारी थी।”

मिश्रा ने कहा, “चाहे उपमंडल अधिकारी का पद हो या प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव का, मैंने इन पदों पर काम किया और अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश की। लेकिन जब मंदिर निर्माण की बात आई, तो यह कोई ऐसा पद नहीं था, जिसकी प्रकृति के बारे में पहले से कुछ ज्ञात था। मुझे वास्तव में ऐसा लगता है कि यह एक ऐसा पद था, जिसके लिए ईश्वर ने खुद मुझे नियुक्त किया था। हर किसी को इस तरह का अवसर नहीं मिलता। इसलिए, जब मुझे जब यह अवसर मिला, तो मेरे लिए इससे बेहतर कुछ और नहीं हो सकता था। यह काम निश्चित रूप से मेरे जीवन का सबसे खास काम था।”

अयोध्या में राम मंदिर के पहले चरण का निर्माण कार्य पिछले साल जनवरी में पूरा हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में 22 जनवरी 2024 को मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। मंदिर के अंतिम चरण का निर्माण कार्य पांच जून तक पूरा होने वाला है, जब ‘राम दरबार’ का अभिषेक समारोह किया जाएगा।

उच्चतम न्यायालय ने 2019 में रामजन्मभूमि विवाद का निपटारा करते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण करने और मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ वैकल्पिक भूमि देने का आदेश पारित किया था।

‘पद्म भूषण’ से सम्मानित मिश्रा ने इस बात से इनकार किया कि मंदिर निर्माण के पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य है।

उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह (राम मंदिर निर्माण) कोई सियासी हथकंडा है या इसके पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य है। ऐसा हमारे सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर किया गया है और यह पल 500 वर्षों के संघर्ष के बाद आया है।”

नोटबंदी जैसे बड़े नीतिगत फैसलों के समय मोदी के प्रधान सचिव के रूप में अपने अनुभव के बारे में पूछे जाने पर मिश्रा ने कहा कि इस बात का सवाल ही नहीं उठता कि दोनों एकमत नहीं थे।

उन्होंने कहा, “…चूंकि, प्रधान सचिव के रूप में मैं जानता था कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का काम प्रधानमंत्री के कार्य को सुविधाजनक बनाना है। आखिरकार, प्रधानमंत्री करोड़ों लोगों के समर्थन के कारण चुने जाते हैं। वह उन करोड़ों लोगों से कई वादे करते हैं। इसलिए मतभेद जैसी स्थिति कभी नहीं आती। अलबत्ता आपकी भूमिका उनकी उम्मीदों को साकार करने की दिशा में अधिक होती है और अंततः इस पर अमल किया जाता है।”

मिश्रा ने कहा, “और इसका दूसरा पहलू भी है। वह यह कि जब आप कार्यान्वयन का खाका तैयार करते हैं, तो आप यह एहतियात बरतते हैं कि फैसला परीक्षण की कसौटी से गुजर चुका है।”

उन्होंने कहा, “मिसाल के तौर पर, अगर आप उस फैसले के बारे में सोचें जिसका (नोटबंदी) आपने जिक्र किया, तो क्या यह वित्तीय दृष्टि से विवेकपूर्ण है, क्या यह ज्यादा से ज्यादा आबादी की भलाई सुनिश्चित करता है, क्या यह सामाजिक समानता सुनिश्चित करता है, ऐसी कुछ विचारणीय बातें हैं, जिसकी उम्मीद प्रधानमंत्री से की जाती है।”

मिश्रा ने प्रधानमंत्री मोदी को एक “सख्त प्रशासक” भी बताया।

उन्होंने पीएमओ में बिताए गए अपने दिनों को याद करते हुए कहा, “जैसा कि आप जानते हैं, वह एक सख्त प्रशासक हैं। और मैंने अक्सर कहा है कि जब आप उनके पास जाते हैं और कहते हैं कि ‘मैंने यह शिखर हासिल कर लिया है, मैं इस स्तर पर पहुंच गया हूं’, तो वह तुरंत आपको अगला शिखर दिखाते हैं और उम्मीद करते हैं कि अब आप उसे भी सफलतापूर्वक हासिल कर लेंगे।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *