तेजस्वी को लेकर कोई किंतु-परंतु नहीं, हम 50 सीट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक: भाकपा (माले) सांसद

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नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) लिबरेशन के सांसद सुदामा प्रसाद ने शनिवार को कहा कि बिहार में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव के नाम को लेकर कोई किंतु-परंतु और भ्रम की स्थिति नहीं है, लेकिन चुनाव से पहले चेहरा घोषित करने के बारे में फैसला घटक दलों के शीर्ष नेता करेंगे।

बिहार के आरा से लोकसभा सदस्य ने ‘पीटीआई भाषा’ के साथ बातचीत में यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस बार 50 सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छुक है और यदि ऐसा होता है तो महागठबंधन के सरकार बनाने की काफी संभावना रहेगी।

साथ ही, उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर किसी तरह का विवाद और विरोधाभास नहीं है क्योंकि सबकी प्राथमिकता भाजपा और उसके गठबंधन को हराने की है।

बिहार विधानसभा चुनाव इस साल अक्टूबर-नवंबर होने की संभावना है।

वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा (माले) लिबरेशन 19 सीट पर चुनाव लड़ी थी और 12 पर जीत हासिल की थी।

बिहार में ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों के गठजोड़ को महागठबंधन के नाम से जाना जाता है। इस गठबंधन में वाम दलों के साथ ही राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल हैं।

यह पूछे जाने पर कि भाकपा (माले) लिबरेशन कितनी सीट पर चुनाव लड़ेगी, तो सुदामा प्रसाद ने कहा, “राजद के समर्थक वर्ग और आम लोगों के बीच चर्चा है कि यदि 2020 में भाकपा माले को चुनाव लड़ने के लिए 10 -15 सीट अधिक मिल गई होतीं तो महागठबंधन से कि सरकार बन जाती।”

उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाकपा माले का स्ट्राइक रेट सबसे अधिक था।

प्रसाद ने कहा, “हमने इच्छा जाहिर की है कि यदि हमें 50 सीट मिल जाएं तो हम महागठबंधन को बहुत ही अच्छी स्थिति में ले आएंगे। आम लोगों की इच्छा है कि ऐसा हो।”

साथ ही, उन्होंने कहा, “हम लोगों को भाजपा को हराना है, ऐसे में मूल प्रश्न यह नहीं है की कितनी सीटें मिलेंगी या नहीं मिलेंगी। मूल प्रश्न यह है कि भाजपा को हराया जाए।”

लोकसभा सदस्य के मुताबिक, महागठबंधन में सीटों को लेकर कोई विवाद या विरोधाभास नहीं है।

यह पूछे जाने पर कि क्या तेजस्वी विपक्ष की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे, उन्होंने कहा, “यह तो चीज स्पष्ट है, इसमें क्या किंतु परंतु है? उन्हें समन्वय समिति का संयोजक चुना गया है और वह बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, उप मुख्यमंत्री भी रहे हैं , फिर दूसरा कौन है जिसे मुख्यमंत्री का पद चाहिए।”

उन्होंने कहा, “जहां तक चेहरा घोषित करने का सवाल है, इस पर जवाब सिर्फ हमारे शीर्ष नेता देंगे, लेकिन हमें यह जरूर लगता है कि कोई भ्रम की स्थिति नहीं है, सब कुछ स्पष्ट है। “

प्रसाद ने दावा किया कि भाजपा चुनाव बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ठीक उसी तरह खेल खेलने की तैयारी में है जैसे उसने महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के साथ खेला।

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा बिहार में पिछड़े, अति पिछड़े, अनुसूचित जाति के लिए किए गए 65 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान में अड़ंगा डाल रही है क्योंकि वह आरक्षण विरोधी है।

भाकपा माले के सांसद ने यह भी कहा कि बिहार में नौकरियों को लेकर “अधिवास नीति” होनी चाहिए ताकि राज्य के नौजवानों को ज्यादा फायदा मिल सके।

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