‘ग्लोबल साउथ’ स्वास्थ्य चुनौतियों से प्रभावित, भारत का दृष्टिकोण टिकाऊ मॉडल प्रस्तुत करता है : मोदी

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नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि स्वस्थ विश्व का भविष्य समावेशिता, एकीकृत दृष्टिकोण और सहयोग पर निर्भर करता है।

मोदी ने रेखांकित किया कि भारत का दृष्टिकोण ‘ग्लोबल साउथ’ की स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए अनुकरणीय, विस्तार योग्य और टिकाऊ मॉडल प्रस्तुत करता है।

आमतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों या विकासशील देशों को संदर्भित करने के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है।

प्रधानमंत्री ने जिनेवा में आयोजित विश्व स्वास्थ्य सभा के 78वें सत्र को दिये वीडियो संदेश में इस वर्ष की थीम ‘स्वास्थ्य के लिए एक विश्व’ को रेखांकित किया और इस बात पर जोर दिया कि यह वैश्विक स्वास्थ्य के लिए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

मोदी ने विश्व स्वास्थ्य सभा-2023 में अपने संबोधन को याद किया, जिसमें उन्होंने ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ की बात की थी और बताया था कि स्वस्थ विश्व का भविष्य समावेशिता, एकीकृत दृष्टिकोण और सहयोग पर निर्भर करता है।

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि समावेशिता भारत के स्वास्थ्य सुधारों का मूल है। उन्होंने आयुष्मान भारत पर प्रकाश डाला, जो दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसके जरिये 58 करोड़ लोगों को मुफ्त उपचार मुहैया कराई जाती है।

हाल ही में इस कार्यक्रम का विस्तार कर इसे 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीयों को इसमें शामिल किया गया है।

उन्होंने भारत में हजारों स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों के व्यापक नेटवर्क का उल्लेख किया, जो कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों की शीघ्र जांच और पता लगाने में सहायता करते हैं।

मोदी ने हजारों सरकारी दवा दुकानों की भूमिका को भी रेखांकित किया जो काफी कम कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयां उपलब्ध कराती हैं।

प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका का उल्लेख करते हुए भारत की डिजिटल पहलों को रेखांकित किया, जिनमें गर्भवती महिलाओं और बच्चों के टीकाकरण पर नजर रखने वाला डिजिटल मंच और एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य पहचान प्रणाली शामिल है, जो लाभ, बीमा, रिकॉर्ड और सूचना को एक स्थान पर रखने में मदद कर रही है।

उन्होंने कहा कि टेलीमेडिसिन की वजह से कोई भी व्यक्ति चिकित्सक से ज्यादा दूर नहीं है।

प्रधानमंत्री ने भारत की निःशुल्क टेलीमेडिसिन सेवा को रेखांकित किया, जिसके जरिये 34 करोड़ से अधिक परामर्श संभव हो पाए हैं।

उन्होंने भारत की स्वास्थ्य पहलों के सकारात्मक प्रभाव को भी रेखांकित करते हुए कहा कि लोगों द्वारा इलाज पर अपनी जेब से खर्च की जाने वाली राशि में उल्लेखनीय कमी है।

प्रधानमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि स्वास्थ्य व्यय में सरकार की ओर से काफी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘विश्व का स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम सबसे कमजोर लोगों की देखभाल कितनी अच्छी तरह करते हैं।’’

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि ‘ग्लोबल साउथ’ विशेष रूप से स्वास्थ्य चुनौतियों से प्रभावित है। उन्होंने इसबात पर भी बल दिया कि भारत का दृष्टिकोण अनुकरणीय, विस्तार योग्य और टिकाऊ मॉडल प्रदान करता है।

‘ग्लोबल साउथ’ का अभिप्राय उन देशों से हैं जो आर्थिक रूप से विकासशील या अल्प विकसित हैं। इनमें से अधिकतर देश दक्षिणी गोलार्ध में अवस्थित हैं।

प्रधानमंत्री ने विश्व, विशेषकर ‘ग्लोबल साउथ’ के साथ अपने अनुभव और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने की भारत की इच्छा व्यक्त की।

अगले महीने जून में 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। इसके मद्देनजर प्रधानमंत्री ने वैश्विक भागीदारी को प्रोत्साहित किया तथा इस वर्ष की थीम, ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ पर प्रकाश डाला।

उन्होंने सभी देशों को निमंत्रण देते हुए योग के जन्मस्थान के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित किया।

मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और सभी सदस्य देशों को अंतर-सरकारी वार्ता निकाय (आईएनबी) संधि की सफल वार्ता के लिए बधाई दी। उन्होंने इसे अधिक वैश्विक सहयोग के माध्यम से भविष्य की महामारियों से लड़ने की साझा प्रतिबद्धता बताया।

प्रधानमंत्री ने एक स्वस्थ ग्रह के निर्माण के महत्व को रेखांकित किया और यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि कोई भी पीछे न छूटे।

अपने संबोधन के समापन पर मोदी ने वेदों की प्रार्थना ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।’’ का उल्लेख किया तथा बताया कि कैसे हजारों वर्ष पहले भारत के ऋषियों ने एक ऐसे विश्व के लिए प्रार्थना की थी, जहां सभी स्वस्थ, प्रसन्न और रोगमुक्त हों।

प्रधानमंत्री मोदी ने उम्मीद जताई कि यह दृष्टिकोण विश्व को एकजुट करेगा।

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