भारत कभी ‘परमाणु ब्लैकमेल’ के आगे नहीं झुकेगा: जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत कभी ‘परमाणु ब्लैकमेल’ के आगे नहीं झुकेगा और जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और इसका इस्तेमाल करते हैं, उन्हें भारी कीमत चुकानी चाहिए।

जयशंकर ने यहां पारुल विश्वविद्यालय के विदेशी विद्यार्थियों के दीक्षांत समारोह में कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ‘‘खुलेआम आदान-प्रदान’’ करना एक चलन बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत विश्वास के आधार पर साझेदारी बनाने में भरोसा रखता है।

मंत्री ने कहा, ‘‘भारत कभी भी किसी भी तरह के ‘परमाणु ब्लैकमेल’ के आगे नहीं झुकेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पहलगाम में (आतंकवादी हमले में) हमने जो देखा वह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को तबाह करने का प्रयास था, साथ ही धार्मिक विवाद पैदा करने की एक साजिश भी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हत्याओं की बर्बरता के लिए एक अनुकरणीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता थी, जो आतंकवादी ढांचों को नष्ट करके दी गई, विशेष रूप से बहावलपुर और मुरीदके में। यह जरूरी है कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और अपने उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं, उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़े।’’

जयशंकर ने कहा कि समय बदल गया है और आतंकवाद के केंद्र अब जवाबी कार्रवाई से अछूते नहीं रह गए हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रति भारत की कतई न सहन करने की नीति उसके कार्यों से स्पष्ट होती है।

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम कभी भी परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेंगे और भारत के राष्ट्रीय हित में जो भी निर्णय लिए जाने हैं, वे लिए जा रहे हैं और लिए जाते रहेंगे।’’

उन्होंने कहा कि भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ‘‘यह देखकर खुशी हुई कि अन्य देशों ने भी आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करने के हमारे अधिकार को समझा है।’’

उनकी टिप्पणी पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मद्देनजर आई है।

मंत्री ने कहा कि कुछ समाजों में भावनाएं और मूल्य बहुत मायने रखते हैं और भारत भी इसी श्रेणी में आता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने विश्व और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति अपने बड़े दायित्व को ध्यान में रखा है। हमारे संसाधन सीमित हो सकते हैं, लेकिन भारत का दिल बड़ा है।’’

जयशंकर ने कहा कि साझेदारों के बीच संस्कृति, परंपरा और विरासत के प्रति परस्पर सम्मान होना चाहिए।

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत एक ‘‘दुर्लभ सभ्यता वाला देश’’ है, जो विश्व बिरादरी में अपना उचित स्थान फिर से प्राप्त कर रहा है।

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