भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता: एक नजर में

0
20240813114420

नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) भारत और ब्रिटेन ने इसी सप्ताह घोषणा की कि उन्होंने परस्पर आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए बातचीत पूरी कर ली है। वार्ता जनवरी, 2022 में शुरू हुई थी।

इसका उद्देश्य 2030 तक वस्तुओं और सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 60 अरब डॉलर से दोगुना करके 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।

इस व्यापार समझौते से ब्रिटेन में भारतीय वस्तुओं और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए बेहतर बाजार पहुंच उपलब्ध होगी। इसी तरह, ब्रिटिश कंपनियों को भी भारतीय बाजार में तुलनीय लाभ मिलेगा।

एफटीए भारत के निर्यात हितों के अनुरूप सभी क्षेत्रों में वस्तुओं के लिए व्यापक बाजार पहुंच सुनिश्चित करता है। भारत को लगभग 99 प्रतिशत शुल्क लाइन (उत्पाद श्रेणियों) पर आयात शुल्क समाप्त होने से लाभ होगा, जो व्यापार मूल्य का लगभग 100 प्रतिशत कवर करेगा। यह भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए बहुत सारे अवसर प्रदान करता है।

भारत को सभी औद्योगिक वस्तुओं में ‘शून्य शुल्क’ पर बाजार पहुंच प्राप्त हुई है। इसमें चमड़ा, जूते, कपड़ा और परिधान, रत्न और आभूषण, आधार धातु, फर्नीचर, खेल के सामान, परिवहन/वाहन कलपुर्जे, रसायन, लकड़ी/कागज, यांत्रिक/विद्युत मशीनरी, खनिज जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वर्तमान में, इन क्षेत्रों पर ब्रिटेन में चार से 16 प्रतिशत तक शुल्क लगता है।

भारत में डेयरी उत्पाद, सेब, पनीर, जई, पशु और वनस्पति तेल जैसे संवेदनशील कृषि उत्पाद बहिष्कृत सूची में हैं। इसका अर्थ है कि इन वस्तुओं पर भारत द्वारा ब्रिटेन को कोई शुल्क लाभ प्रदान नहीं किया जाएगा।

प्लास्टिक, हीरा, चांदी, बेस स्टेशन, स्मार्टफोन, टेलीविजन कैमरा ट्यूब, ऑप्टिकल फाइबर, ऑप्टिकल फाइबर बंडल और केबल जैसी संवेदनशील औद्योगिक वस्तुएं भी इस सूची में शामिल हैं।

कुछ क्षेत्रों को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए, भारत ने लंबी अवधि में धीरे-धीरे शुल्कों में कटौती या उन्हें हटाने पर सहमति जताई है। इन वस्तुओं में सिरेमिक, पेट्रोलियम उत्पाद, कार्बन, लाल फास्फोरस, क्लोरोसल्फ्यूरिक एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड, बोरिक एसिड जैसे रसायन, प्लैटिनम के नोबल मेटैलुशंस, विमान इंजन और इंजीनियरिंग उपकरण शामिल हैं।

भारत में ब्रिटेन से स्कॉच व्हिस्की और जिन का आयात शुरू में आधा करके 75 प्रतिशत और 10वें वर्ष तक 40 प्रतिशत कर दिया जाएगा। वर्तमान में यह 150 प्रतिशत है।

स्कॉच व्हिस्की कुल व्हिस्की बाज़ार का केवल 2.5 प्रतिशत हिस्सा है। शुल्क में कमी लंबी अवधि (10 वर्ष) के लिए है। आयात में वृद्धि से घरेलू बाज़ार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।

दोनों पक्षों के कोटा के तहत ब्रिटेन की गाड़ियों पर शुल्क 100 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया जाएगा, जिससे टाटा-जेएलआर (जगुआर- लैंड रोवर) जैसी कंपनियों को लाभ होगा। शुल्क में कटौती से भारत में जेएलआर, रोल्स-रॉयस, एस्टन मार्टिन और बेंटले जैसी गाड़ियों की कीमतें कम हो सकती हैं।

रियायती शुल्क दर पर इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के आयात का कोटा केवल कुछ हज़ार तक सीमित है। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कोटे से बाहर शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़ी संवेदनशीलता का ध्यान रखा गया है।

इसके अलावा, आईसीई (आंतरिक दहन इंजन) वाहनों पर कोटा से बाहर का शुल्क लंबी अवधि में धीरे-धीरे कम किया जाएगा, जिससे हमारे उद्योगों को ब्रिटेन से आयात में वृद्धि को खपाने में मदद मिलेगी।

ब्रिटेन ने विभिन्न श्रेणियों के स्वाभाविक लोगों, जैसे व्यापारिक आगंतुकों, अंतर-व्यापारिक स्थानांतरित व्यक्तियों, संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ताओं, स्वतंत्र पेशेवरों, निवेशकों और अंतर-व्यापारिक स्थानांतरित व्यक्तियों के साझेदारों और आश्रित बच्चों (काम करने के अधिकार के साथ) के लिए अस्थायी प्रवेश और रहने की आवश्यकताओं के लिए एक सुनिश्चित व्यवस्था प्रदान की है।

इसने संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ताओं के अंतर्गत 36 उप-क्षेत्रों (जिसमें योग प्रशिक्षक, शास्त्रीय संगीतकार और शेफ डी कुजीन भी शामिल हैं, जिनकी संयुक्त संख्या प्रति वर्ष 1,800 तक है) और स्वतंत्र पेशेवरों के अंतर्गत 16 उप-क्षेत्रों (जिसमें कंप्यूटर और संबंधित सेवाएं, अनुसंधान और विकास सेवाएं शामिल हैं) में गतिशीलता प्रतिबद्धताओं की पेशकश की है।

ब्रिटेन ने अपने क्षेत्र में ऐसे लोगों के अस्थायी प्रवेश के लिए संख्यात्मक प्रतिबंध या आर्थिक आवश्यकता परीक्षण आवश्यकताएं न लगाने पर भी सहमति व्यक्त की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *