पर्यावरण संरक्षण सबकी जिम्मेदारी, सरकार के साथ समाज भी निभाए भूमिका : आदित्यनाथ

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लखनऊ, 22 मई (भाषा) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक जिम्मेदारी और सहभागिता पर जोर देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वर्ष 2070 तक भारत को ‘नेट जीरो’ का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए समाज के हर व्यक्ति का योगदान जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने ‘अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ के अवसर पर लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी-2025 का उद्घाटन करते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक जिम्मेदारी और सहभागिता पर जोर दिया।

‘अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस’ के लिए इस वर्ष की थीम ‘प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास’ को केंद्र में रखते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग के सामूहिक प्रयासों की अपेक्षा रखता है।

उन्होंने भारत के वैदिक दर्शन और सनातन परंपराओं का उल्लेख करते हुए प्रकृति के साथ सामंजस्य की आवश्यकता को लेकर लोगों से अपील भी की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2070 तक भारत को ‘नेट जीरो’ लक्ष्य प्राप्त करने का संकल्प लिया है लेकिन इसकी प्राप्ति के लिए समाज के हर व्यक्ति का योगदान आवश्यक है। उन्होंने कहा ‘‘यह केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। जब तक हम सभी मिलकर प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए काम नहीं करेंगे, तब तक सतत विकास का लक्ष्य अधूरा रहेगा।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपराएं प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाती हैं। उन्होंने कहा कि हमारी परंपराएं हमें सिखाती हैं कि मनुष्य का अस्तित्व प्रकृति और जैव विविधता के संरक्षण पर निर्भर है।

मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य का जैव विविधता बोर्ड ‘प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए नए अभियान चला रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में वन विभाग ने 210 करोड़ से अधिक पौधों का रोपण कर राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि ‘नमामि गंगे परियोजना’ के तहत गंगा नदी को कानपुर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निर्मल और अविरल बनाने में सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा ‘‘कभी कानपुर ‘नमामि गंगे परियोजना’ का सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र था, आज वहां गंगा स्वच्छ और निर्मल है।’’

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