धनखड़ ने किसानों को कृषि अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं में शामिल करने का आह्वान किया

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Jagdeep Dhankhar in Goa

पणजी,  उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि किसानों को कृषि उपज के विपणन के साथ-साथ मूल्य संवर्धन में भी पूरी तरह शामिल किया जाना चाहिए और साथ ही इस क्षेत्र से लाभान्वित होने वाले उद्योगपतियों को भी इसमें योगदान देना चाहिए।

वह ‘ओल्ड गोवा’ में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में कृषिविदों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को कृषि उपज के विपणन के साथ-साथ मूल्य संवर्धन में भी पूरी तरह से शामिल किया जाना चाहिए। किसान की आय में बड़ा बदलाव तभी आएगा जब किसान कृषि के व्यवसाय से भी जुड़ेगा।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि उपज पर आधारित कई कारखाने हैं, लेकिन किसान ऐसी इकाइयों के उत्पादों का मात्र ग्राहक बनकर रह जाता है।

उन्होंने कहा कि किसानों को इस क्षेत्र में आवश्यक विभिन्न उपकरणों तथा उर्वरकों तथा कीटनाशकों जैसे अवयवों के व्यवसाय में भी शामिल होना चाहिए।

धनखड़ ने कहा,‘‘यदि किसान और उनके बच्चे खेती के तक ही सीमित रहेंगे, तो भारत की आर्थिक प्रणाली को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक गति नहीं मिल पायेगी।’’

उन्होंने कहा कि कृषि अर्थव्यवस्था केवल कृषि उत्पादन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि किसानों की विपणन और मूल्य संवर्धन समेत इसके सभी पहलुओं में बड़ी भागीदारी होनी चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘कृषि समुदाय से उद्यमियों को तैयार करने की आवश्यकता है। मैं उन्हें कृषि उद्यमी कहता हूं। इस देश में लाखों कृषि उद्यमी होने चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह भी जरूरी है कि जो लोग किसानों से लाभान्वित होते हैं, जो किसान की उपज से लाभ पाते हैं – ऐसे बड़े उद्योगपति भी किसानों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान दें। मैं उनकी (उद्योगपतियों की) आलोचना नहीं कर रहा हूं, मैं सलाह दे रहा हूं।’’

उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों को किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए तथा अनुसंधान करना चाहिए एवं ग्रामीण विकास के प्रमुख मुद्दों पर अपने ‘सीएसआर (कोरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी) फंड का उपयोग करना चाहिए।

धनखड़ ने कहा, ‘‘तभी बड़ा बदलाव आएगा।’’

 

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