देहरादून, 21 मई (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) द्वारा आयोजित तृतीय पर्वतारोहण अभियान ‘शौर्य’ को बुधवार को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
यहां मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में पर्वतारोहण अभियान पर जाने वाले एनडीआरएफ के जवानों को शुभकामनाएं देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वे न केवल अपने अभियान में सफल होंगे बल्कि इसका अनुसरण करने वाले अन्य पर्वतारोहियों को भी मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीआरएफ के जवान राज्य में आने वाली हर आपदा में ‘ग्राउंड जीरो’ (घटनास्थल) पर रहते हैं और साहसिक गतिविधियों में भाग लेकर अपने कौशल का विस्तार करने के साथ ही युवाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ऐंगलिंग, साइक्लिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, पैराग्लाइडिंग जैसी अनेक साहसिक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रही है और राज्य में प्रतिवर्ष टिहरी वाटर स्पोर्ट्स, नयार महोत्सव जैसी अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं।
धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मुखवा भ्रमण के दौरान कई साहसिक खेलों के प्रतिभागियों को स्वयं हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और सहयोग से राज्य सरकार प्रदेश को साहसिक खेलों और ईको-टूरिज्म के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने का कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आपदा प्रबंधन की मजबूती के लिए निरंतर कार्य कर रही है और उसे आवश्यक संसाधनों, अत्याधुनिक उपकरणों और नवीनतम तकनीक से जोड़ा जा रहा है। जवानों को आधुनिक एवं तकनीकी रूप से दक्ष बनाने के लिए प्रशिक्षण केंद्रों की भी स्थापना की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य सरकार ने उत्तराखंड डिजास्टर प्रीपेयर्डनेस एंड रेसीलियेंट परियोजना को मंजूरी दी है जिसके तहत लगभग 1,480 करोड़ रुपये की राशि आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करने के लिए स्वीकृत की गई है।
एनडीआरएफ के महानिदेशक पीयूष आनंद ने कहा कि ट्रैकिंग का यह अभियान जवानों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बचाव अभियान चलाने के लिए और सक्षम बनाएगा।
एनडीआरएफ के इस अभियान दल में 44 सदस्य शामिल हैं जो देहरादून, उत्तरकाशी, गंगोत्री, चीड़बासा, भोजवासा, तपोवन तथा कीर्ति ग्लेशियर होते हुए लगभग 6,832 मीटर ऊंची ‘केदार डोम’ चोटी को फतह करेंगे। इस चुनौतीपूर्ण ट्रैक में दुर्गम पर्वतीय रास्ते और हिमनद हैं।