फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय, भारत-पाकिस्तान तनाव से जुड़े घटनाक्रमों से तय होगी बाजार की चाल

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नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय, विदेशी संस्थागत निवेशकों की कारोबारी गतिविधियों और कंपनियों के तिमाही नतीजों से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर भी निवेशकों की निगाह रहेगी।

अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते की उम्मीदों और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) के निरंतर प्रवाह की वजह से पिछले सप्ताह स्थानीय बाजार सकारात्मक रुख के साथ बंद हुए। हालांकि, बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि भू-राजनीतिक तनाव और शुल्क युद्ध के बीच कमजोर वैश्विक परिदृश्य के कारण निवेशक शेयरों पर बड़ा दांव नहीं लगा रहे हैं।

इस सप्ताह घोषित होने वाले वृहद आर्थिक आंकड़ों में एचएसबीसी सेवा पीएमआई (क्रय प्रबंधक सूचकांक) पर निवेशकों की नजर रहेगी।

रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘कई वैश्विक और घरेलू घटनाक्रमों की वजह से यह सप्ताह महत्वपूर्ण रहेगा। निवेशकों की निगाह शुल्क युद्ध और पाकिस्तान के साथ भू-राजनीतिक तनाव से संबंधित घटनाक्रमों पर रहेगी। वृहद आर्थिक मोर्चे पर निवेशक एचएसबीसी कंपोजिट पीएमआई और सेवा पीएमआई आंकड़ों पर नजर रखेंगे। वैश्विक मोर्चे पर, फेडरल रिजर्व के सात मई को घोषित होने वाले ब्याज दर के निर्णय पर सभी की निगाह रहेगी।’’

सप्ताह के दौरान महिंद्रा एंड महिंद्रा, कोल इंडिया, एशियन पेंट्स, लार्सन एंड टुब्रो और टाइटन सहित कई बड़ी कंपनियां अपने तिमाही नतीजों की घोषणा करेंगी।

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर शुल्क और व्यापार से संबंधित घटनाक्रमों पर निवेशकों की निगाह रहेगी।

बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,289.46 अंक या 1.62 प्रतिशत चढ़ गया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 307.35 अंक या 1.27 प्रतिशत के लाभ में रहा।

लेमन मार्केट्स डेस्क के विश्लेषक गौरव गर्ग ने कहा कि अमेरिका में संभावित मंदी और भारत तथा पाकिस्तान के बीच सीमा पर चल रहे तनाव की चिंताओं ने भी बाजार के ‘मूड’ को प्रभावित किया है।

उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव के बीच निकट भविष्य में घरेलू बाजार में सतर्कता रहने की उम्मीद है। हालांकि, फिलहाल तेज गिरावट की आशंका नहीं है। वैश्विक स्तर पर, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव में कमी और कमजोर अमेरिकी डॉलर को भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए मध्यम अवधि में सकारात्मक माना जा रहा है।

जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘हालांकि, पहली तिमाही में अमेरिका की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में आई गिरावट ने अनिश्चितता की एक परत जोड़ दी है। इस सप्ताह की फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक के दौरान ब्याज दर और मुद्रास्फीति पर फेडरल रिजर्व प्रमुख की टिप्पणियों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी।’’

पिछले 12 कारोबारी सत्रों में एफआईआई लि़वाल बने हुए हैं।

उन्होंने कहा कि एफआईआई रणनीति में इस बदलाव के पीछे दो प्रमुख कारक हैं। पहला, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जवाबी शुल्क पर 90 दिन की रोक की घोषणा से वैश्विक बाजारों में सुधार हुआ है। इस सुधार में भी भारत का प्रदर्शन अन्य देशों से बेहतर रहा है। दूसरी वजह डॉलर की कमजोरी है। 11 जनवरी को डॉलर इंडेक्स 111 पर था जो अब घटकर 99 पर आ गया है। इससे उभरते बाजारों, विशेष रूप से भारत में एफआईआई प्रवाह बढ़ा है।’’

इस बीच, भारतीय स्टेट बैंक ने शनिवार को जनवरी-मार्च तिमाही के लिए अपने एकीकृत शुद्ध लाभ में 8.34 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। तिमाही के दौरान बैंक का शुद्ध लाभ 21,384 करोड़ रुपये से घटकर 19,600 करोड़ रुपये रह गया है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के प्रमुख-शोध, संपदा प्रबंधन सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर हम उम्मीद करते हैं कि बाजार सकारात्मक पूर्वाग्रह के साथ एक व्यापक दायरे में रहेगा। बाजार में शेयर-विशिष्ट गतिविधियों का असर देखने को मिलेगा। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव के कारण कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

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