नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह शीर्ष अदालत और प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना कार्रवाई संबंधी जनहित याचिका पर विचार नहीं करेगा।
भाजपा सांसद ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि “उच्चतम न्यायालय देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है” और “देश में हो रहे गृहयुद्धों के लिए प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं”।
जनहित याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने प्रधान न्यायाधीश की पीठ से कहा, ‘‘संस्था की गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए। यह ऐसे नहीं चल सकता।’’
उन्होंने कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) सहित बार नेताओं ने इस बयान की निंदा की है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम एक संक्षिप्त आदेश पारित करेंगे। हम कुछ कारण बताएंगे। हम इस पर विचार नहीं करेंगे, लेकिन संक्षिप्त आदेश देंगे।’’
वकील ने कहा कि टिप्पणियां ‘‘अवमाननापूर्ण’’ और ‘‘घृणास्पद’’ थीं।
जनहित याचिका में कहा गया है कि झारखंड के गोड्डा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद दुबे ने प्रधान न्यायाधीश खन्ना और देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था के खिलाफ ‘‘अत्यधिक भड़काऊ, घृणास्पद और निंदनीय’’ बयान दिया।
इसमें कहा गया, ‘‘बयान संबंधी पूरी सामग्री न्यायपालिका और उच्चतम न्यायालय के प्रति अपमानजनक बातों से भरी हुई है। इस तरह के कृत्य बीएनएस के साथ-साथ न्यायालय की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के तहत दंडनीय अपराध हैं।’’
जनहित याचिका में उच्चतम न्यायालय और इसके न्यायाधीशों की गरिमा की रक्षा के महत्व पर बल दिया गया है तथा सांसद को अवमानना के लिए दंडित करने के वास्ते संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत शक्तियों का प्रयोग करने का अनुरोध किया गया है।