
धूम्रपान करने वालों की संख्या सम्पूर्ण विश्व में बहुत तीव्र गति से बढ़ती जा रही है, यह जानते हुए भी कि धूम्रपान के कारण न केवल कितने गंभीर रोगों की संभावना बढ़ जाती है बल्कि व्यक्ति मृत्यु का शिकार भी हो जाते हैं। धूम्रपान के कारण विश्व में हर 10 वयस्कों में से 1 व्यक्ति मृत्यु का ग्रास बन जाता है।
धूम्रपान के कारण हृदय रोग, सांस संबंधी बीमारियां व कैंसर जैसे गंभीर रोगों की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। हाल ही में हुए शोधों से यह सामने आया है कि धूम्रपान व आंखों संबंधी बीमारियां, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और आयु बढ़ने के साथ होने वाली आंखों की मांसपेशियों पर पड़ने वाले प्रभाव, जो आंखों में रेटिना को प्रभावित करता है, में गहरा संबंध है।
कई धूम्रपान का सेवन करने वाले लोग इस बात को नहीं मानते कि आंखों को धूम्रपान से फर्क पड़ता है। इस विषय में विशेषज्ञों का मानना है कि तम्बाकू में निकोटिन होती है और निकोटिन ओप्टिक नर्व या दृष्टि की नसों के लिए जहर के बराबर है। लंबे समय तक इसके सेवन से नसों की क्षति के कारण अंधेपन तक की नौबत आ सकती है। निकोटिन आंखों की नसों की क्षमता को कम कर देती है।
’फ्री-रेडिकल्स से तो शायद सभी परिचित हैं। ये शरीर में स्वस्थ सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। धूम्रपान फ्री-रेडिकल्स को बढ़ाता है और एंटीआक्सीडेंट के स्तर को कम करता है और आंखों को नुकसान पहुंचाता है। इनके बढ़ने से हृदय रोग, कैंसर व आंखों संबंधी रोगों की संभावना बढ़ती है।
आयु बढ़ने के साथ होने वाले परिवर्तनों की गति को तेज करने में इन कणों का ही हाथ होता है। कई शोधों से यह भी प्रमाणित हुआ है कि फ्री-रेडिकल्स के नुकसान को कम करने के लिए हमें अपनी डाइट में विटामिन व मिनरल युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए क्योंकि इनसे हमें एंटी आक्सीडेेंट प्राप्त होते हैं पर आँखों को सुरक्षा देने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है धूम्रपान का त्याग क्योंकि धूम्रपान के कारण ही मोतियाबिंद होने की संभावना दुगुनी हो जाती है व ’मैक्यूलर डिजेनरेशन‘ की भी संभावना बहुत अधिक होती है।
इसके अतिरिक्त अन्य सहायक जीवनशैली संबंधी परिवर्तन है नियमित एक्सरसाइज। फाइटोन्यूट्रीयिन्टस जो पौधों से प्राप्त होते हैं, हमारे शरीर के लिए बहुत ही अच्छे पोषक तत्व हैं। उनका सेवन भी बहुत आवश्यक है। इन फाइटोन्यूट्रीयिन्टस का अच्छा स्रोत हैं हरी पत्तेदार सब्जियाँ। इन फाइटोन्यूट्रीयिन्टस के कारण आंँखों व मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है जो आँखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
धूम्रपान के हानिकारक प्रभाव को जनता तक पहुंचाने और धूम्रपान के शौक को कम करने के लिए विश्व की सरकारें भी सक्रिय हैं। सिगरेट के पैकेट पर भी कई चेतावनियां दी गई होती हैं जो धूम्रपान के दुष्प्रभाव से अवगत कराती हैं पर धूम्रपान का शौक रखने वाले लोग इन चेतावनियों की परवाह नहीं करते। आंखें हमारी आत्मा का दर्पण हैं और इनके बिना दुनिया की कल्पना भी नहीं की जा सकती, इसलिए आंखों को क्षति पहुंचाने वाले हर तत्व से दूर रहना आवश्यक है।
विशेषज्ञों से अधिकतर यह भी प्रश्न पूछा जाता है कि सिगरेट का धुआं आँखों के अन्दर कैसे नुकसान पहुंचा सकता है। इस विषय में विशेषज्ञों का कहना है कि जब सिगरेट का कश अन्दर लिया जाता है तो हजारों की तादाद में कैमिकल्स हमारी रक्तधारा में घुल मिल जाते हैं और पूरे शरीर में पहुंचते हैं। यह कैमिकल ’मैक्यूला‘ रेटिना के सबसे नाजुक भाग को नुकसान पहुंचाते हैं और ’मैक्यूला‘ के सेल्स धीरे-धीरे मरने लगते हैं या मैक्यूला को नई छोटी-छोटी रक्त-वाहिनियां क्षतिग्रस्त करती हैं और इससे दृष्टि चले जाने की संभावना बढ़ जाती है।
’मैक्यूलर डिजेनरेशन‘ का कोई इलाज नहीं पर धूम्रपान न करके आप अपनी आंखों को इससे सुरक्षा दे सकते हैं। मेक्यूलर डीजेनरेशन के इलाज में लेज़र ट्रीटमेंट का सहारा लिया जाता है पर इससे कोई खास सुधार नहीं हो पाता। मैंक्यूलर डीजेनरेशन की प्रक्रिया भी कई वर्षों तक होती रहती है और इसका पता भी वृद्धावस्था में चल पाता है।
आंखों के विशेषज्ञ आँंखों के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति का पता एक साधारण टेस्ट से लगा लेते हैं इसलिए अगर आप ऐसा पाएं कि आपकी एक आँख से आपको ठीक दिखाई नहीं दे रहा या आप अपनी आंख के केन्द्र में कोई गाढ़ा या स्लेटी पैच पाएं तो तुरन्त आंखों के विशेषज्ञ से सम्पर्क करें।