कैंसर हम सभी को प्रभावित करता है,हम प्रतिकूल परिस्थितियों में सबसे मजबूत होते हैं: बाइडन
Focus News 20 May 2025 0
वाशिंगटन, 20 मई (एपी) अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन कैंसर से जूझ रहे हैं। कैंसर से उनका नाता नया नहीं है बल्कि उनके परिवार में एक कहावत है कि तीन सबसे बुरे शब्द जो कोई भी सुन सकता है वो है कि ‘‘आपको कैंसर है’’।
एक दशक पहले, उनके बेटे ब्यू बाइडन की ब्रेन ट्यूमर से मौत हो गई थी। उनकी पत्नी जिल भी दो बार इस बीमारी की चपेट में आ चुकी हैं। अब पूर्व राष्ट्रपति के इसकी चपेट में आने का पता चला है ।
बाइडन के कार्यालय ने सप्ताहांत में उनके ‘प्रोस्टेट कैंसर’ से पीड़ित होने का खुलासा किया था और बताया कि कैंसर उनकी हड्डियों तक फैल चुका है।
बीमारी का पता चलने के बाद बाइडन ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘कैंसर हम सभी को प्रभावित करता है। आप में से बहुतों की तरह जिल और मैंने सीखा है कि हम प्रतिकूल परिस्थितियों में सबसे मजबूत होते हैं।’’
कैंसर की पुष्टि होने से पहले ही बाइडन अपने स्वास्थ्य के कारण सवालों के घेरे में आ गए थे और इस तरह के सवाल उठ रहे थे कि उन्हें दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं।
स्वास्थ्य कारणों से पद के लिए योग्यता को लेकर सवाल उठने के कारण वह राष्ट्रपति पद के चुनाव से हट गए थे और उन्होंने पूर्व उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया। हालांकि हैरिस को हराकर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने।
बाइडन (82) एक ऐसी बीमारी से लड़ रहे हैं जिसने उनके दशकों लंबे करियर पर अचानक रोक लगा दी थी।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में बाइडन तब उपराष्ट्रपति थे जब उनके बेटे ब्यू की 2015 में मौत हो गई थी। इसके अगले साल उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी लेने से मना कर दिया जिससे हिलेरी क्लिंटन राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं, जिन्हें ट्रंप ने 2016 में हराया।
ओबामा की लंबे समय तक सलाहकार रहीं वैलेरी जैरेट ने कहा कि बाइडन काम में डूबकर अपना दर्द भूल जाना चाहते थे और यह पता लगाना चाहते थे कि कैंसर के इलाज को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ताकि किसी और को उस पीड़ा से नहीं गुजरना पड़े जिससे वह गुजरे हैं।
कुछ साल बाद बाइडन 2020 में ट्रंप के खिलाफ प्रचार में उतरे, हालांकि ब्यू की मौत का गम कभी उनसे दूर नहीं रहा।
उनके सबसे बड़े बेटे ब्यू डेलावेयर के अटॉर्नी जनरल थे और उन्हें अक्सर बाइडन के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता था।
बाइडन अक्सर कहते थे, ‘‘ब्यू को राष्ट्रपति पद के लिए लड़ना चाहिए था, मुझे नहीं।’’ बाइडन ने कहते थे, ‘‘कैंसर को हम मिल कर हरा सकते हैं।’’
बाद के वर्षों में उनकी पत्नी जिल बाइडन ने दो बार कैंसर का सामना किया और इस बीमारी को शिकस्त दी।
अफ्रीका की यात्रा के दौरान ‘एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) को उन्होंने बताया कि रोग के बारे में जानना ‘‘जितना मैंने सोचा था उससे थोड़ा कठिन था। मैं भाग्यशाली हूं। मेरा यकीन मानिए, मैं सच में बहुत भाग्यशाली हूं कि उन्होंने (चिकित्सकों ने) इसे पकड़ लिया और इसे मेरे शरीर से हटा दिया और अब मैं स्वस्थ हूं।’’
यह पहली बार नहीं है जब बाइडन किसी घातक बीमारी का सामना कर रहे हैं। 1988 में अपना पहला राष्ट्रपति अभियान समाप्त करने के कुछ महीने बाद वह न्यूयॉर्क के एक होटल के कमरे में बेहोश हो गए थे।
अपने संस्मरण ‘‘प्रॉमिस टु कीप’’ में उन्होंने इसका जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘मेरे सिर के अंदर जैसे बिजली कौंध रही थी, मानो बहुत तेज झटका लग रहा था, ऐसा असहनीय दर्द मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था।’’ उन्हें ‘ब्रेन एन्यूरिज्म’ हुआ था जिसके लिए सर्जरी की आवश्यकता थी।
बाइडन ने लिखा, ‘‘वास्तव में मुझे मरने का कोई डर नहीं है क्योंकि मैंने बहुत पहले ही इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि जीवन की गारंटी नहीं है।’’
बाइडन के कार्यकाल में पूर्व सैनिकों के मामलों के विभाग का नेतृत्व करने वाले डेनिस मैकडोनॉघ ने कहा कि बाइडन संभवत: अपनी वर्तमान स्थिति के बारे में भी ऐसा ही महसूस करते होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘वह हमेशा अगली लड़ाई के लिए तैयार रहते हैं।’’