नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के एक ताजा बयान को लेकर मंगलवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जो कुछ भी कहा है वह देश के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप है और राष्ट्रीय हित से प्रेरित है।
इससे पहले, धनखड़ ने कहा कि संवैधानिक प्राधिकारी द्वारा बोला गया प्रत्येक शब्द सर्वोच्च राष्ट्रहित से प्रेरित होता है।
उन्होंने हाल में उच्चतम न्यायालय के आदेश को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर सवाल उठाने वाले आलोचकों पर निशाना साधा।
शीर्ष अदालत की एक पीठ ने हाल में राज्यपालों द्वारा रोक कर रखे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति की मंजूरी के वास्ते उन्हें फैसला लेने के लिए तीन महीने की समयसीमा तय की थी।
राज्यसभा के सभापति की इस टिप्पणी को लेकर निर्दलीय सांसद सिब्बल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय: संसद के पास कानून पारित करने का पूर्ण अधिकार है, उच्चतम न्यायालय का दायित्व है कि वह संविधान की व्याख्या करे और पूर्ण न्याय करे (अनुच्छेद 142)।’’
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायालय ने जो कुछ भी कहा है वह हमारे संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप है, राष्ट्रीय हित से प्रेरित है।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि कानून के हिसाब से न संसद न कार्यपालिका सर्वोच्च है, बल्कि संविधान सर्वोच्च है तथा संविधान के प्रावधानों की व्याख्या उच्चतम न्यायालय द्वारा की जाती है।
सिब्बल ने कहा कि देश में कानून को लेकर अब तक यही समझ रही है।