वसुंधरा को सिर्फ झालावाड़ जल संकट के बजाय पूरे ‘पीसीके-ईआरसीपी’ परियोजना पर बात करनी चाहिए: गहलोत
Focus News 11 April 2025 0
जयपुर, 11 अप्रैल (भाषा) झालावाड़ में पेयजल संकट को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि राजे को सिर्फ झालावाड़ की बात नहीं करनी चाहिए उन्हें पार्बती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी)-ईआरसीपी लिंक परियोजना के समझौते के बारे में बात करनी चाहिए।
राजे ने मंगलवार को झालावाड़ में पानी की व्यवस्था को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा था, ‘‘अधिकारी सो रहे हैं, लोग रो रहे हैं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी’’। इसके बाद विपक्षी कांग्रेस ने भजनलाल सरकार को घेरना शुरू कर दिया।
उनके बयान के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने शुक्रवार को जयपुर में संवाददाताओं से कहा कि वसुंधरा राजे को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा हस्ताक्षरित ‘पीसीके-ईआरसीपी’ समझौते के बारे में बात करनी चाहिए।
गहलोत ने कहा, ‘‘वसुंधरा जी दो बार मुख्यमंत्री रही हैं और उन्होंने पूरा अध्ययन किया। जहां तक मैं समझता हूं कि ईआरसीपी या पीकेसी इसे नया नाम दिया गया है… यह सब बकवास है। वो खुद ही कह रहे हैं कि नौ साल तक कुछ नहीं होने वाला है तो जनता को बेवकूफ क्यों बना रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वसुंधरा जी को मालूम है कि पीकेसी और ईआरसीपी का जो नया समझौता हुआ है उसमें कोई दम नहीं है। 10-15 साल में भी (पानी)नहीं आने वाला है। दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा जी से मेरी शिकायत यह है कि वह खाली झालावाड़ की बात कर रही हैं…. यह गलत है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘अगर उनमें (वसुंधरा राजे) राजनीतिक ईमानदारी है तो सिर्फ झालावाड़ की नहीं, पूरी योजना की बात करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को प्रेस वार्ता बुलाकर ‘पीकेसी-ईआरसीपी’ के बारे में बताना चाहिए कि वास्तव में इसमें दम है या नहीं।
गहलोत ने कहा, ‘‘जब वसुंधरा जी मुख्यमंत्री थीं तब ईआरसीपी (परियोजना) बनी थी हमारी सरकार आई हमने कोई छेड़छाड़ नहीं की। उनके प्रस्ताव को हमने आगे बढ़ाया।’’
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) की परिकल्पना राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार (2013-18) के दौरान पूर्वी राजस्थान के जिलों की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई थी।
अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार जब 2018 में सत्ता में आई तो काम शुरू किया गया और तत्कालीन सरकार ने केंद्र सरकार से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग की थी।
प्रदेश में भाजपा की भजनलाल सरकार के आने के बाद इस परियोजना का नाम बदलकर ‘पीसीके-ईआरसीपी लिंक’ परियोजना कर दिया गया और पिछले साल जनवरी में ‘‘संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी’’ (मूल पीकेसी का राजस्थान की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के साथ एकीकरण) के कार्यान्वयन के लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश द्वारा जल शक्ति मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
अलवर के एक मंदिर में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के दौरे के बाद भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा द्वारा गंगाजल से मंदिर को शुद्ध करने के संबंध में पूछे गए सवाल पर गहलोत ने इसे ‘‘मानवता पर कलंक’’ करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मानवता पर कलंक है। 21वीं सदी में छुआछूत शर्मनाक है। इस पर राष्ट्रीव स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत चुप क्यों हैं? अगर आरएसएस के नेता सच में मानते हैं कि दलित और आदिवासी हिंदू हैं, तो मंदिरों में इस तरह के जाति आधारित भेदभाव के लिए कौन जिम्मेदार है? उन्हें इस बारे में बात करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ आरएसएस को अस्पृश्यता की निंदा करते हुए सार्वजनिक अपील जारी करनी चाहिए। मंदिर शुद्धिकरण जैसी घटनाएं आरएसएस और भाजपा की मानसिकता को दर्शाती हैं। अगर मेरा आरोप गलत है, तो उन्हें सार्वजनिक रूप से ऐसी प्रथाओं को खारिज करना चाहिए और साबित करना चाहिए कि वे भेदभाव का समर्थन नहीं करते हैं।’’
मुंबई में 26/11 हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का स्वागत करते हुए गहलोत ने कहा कि पूरा देश खुश है। उन्होंने कहा कि सरकार को आर्थिक अपराधियों सहित सभी भगोड़ों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को सभी भगोड़ों को निशाना बनाना चाहिए – चाहे वे आतंकवादी हों या आर्थिक अपराधी।’’