देहरादून, उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में संस्कृत भाषा के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए अपने विशेष प्रयासों के तहत एक लाख लोगों को चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से इस प्राचीन भाषा का प्रशिक्षण देने की घोषणा की है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि सरकार के इस विशेष प्रयास से संस्कृत को रोजगार के अवसरों से जोड़ने में मदद मिलेगी और युवा संस्कृत में बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
राज्य में हिंदी के अलावा संस्कृत दूसरी आधिकारिक भाषा है।
उन्होंने बताया कि यह पहल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की सामान्य समिति की 10वीं बैठक में प्रस्तुत की गयी कार्ययोजना का हिस्सा है।
अधिकारियों ने बताया कि चरणबद्ध तरीके से ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से एक लाख लोगों को संस्कृत में सरल बोलचाल का प्रशिक्षण देने के अलावा, संस्कृत में लिखे गए ग्रंथों के अध्ययन की सुविधा के लिए वैदिक अध्ययन केंद्र स्थापित करने, समकालीन विषयों पर संस्कृत में बनाई गई लघु फिल्मों की प्रतियोगिता आयोजित करने को भी कार्ययोजना में जगह दी गयी है।
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही योग, आयुष, ऋषि-मुनियों और संस्कृत की भूमि रही है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए विद्यालयों व कॉलेजों में वाद-विवाद, निबंध लेखन, श्लोक प्रतियोगिता आयोजित की जानी चाहिए तथा जिलों में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए नोडल अधिकारी नियृक्त किये जानी चाहिए।
बैठक में मौजूद संस्कृत शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य के 13 जिलों के एक-एक गांव को संस्कृत गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इन गांव में रहने वाले लोगों को संस्कृत में प्रशिक्षण देने और उसे आम बोलचाल की भाषा बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
मंत्री ने राज्य में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना शुरू करने और पुजारियों के लिए प्रोत्साहन योजना जैसी व्यवस्थाएं बनाने का सुझाव भी दिया।