नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) अमेरिकी शुल्क में वृद्धि के कारण इस वर्ष समुद्री सामान, सोना, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्रों से अमेरिका को भारत के माल निर्यात में 5.76 अरब डॉलर की गिरावट आने के आसार हैं।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने एक आकलन में यह जानकारी दी। हालांकि उसने साथ ही कहा कि इससे चुनिंदा उत्पाद खंडों में भारत की प्रतिस्पर्धी स्थिति कुछ नुकसान की भरपाई करने में सहायक साबित हो सकती है।
वस्त्र, परिधान, सिरेमिक उत्पाद, अकार्बनिक रसायन और दवा क्षेत्रों में मामूली बढ़त देखी जा सकती है।
अमेरिका ने दवा, सेमीकंडक्टर और कुछ ऊर्जा वस्तुओं को छोड़कर भारतीय वस्तुओं पर नौ अप्रैल से 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है। 10 प्रतिशत मूल शुल्क पहले ही पांच से आठ अप्रैल के बीच लागू किए जा चुके हैं।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा, ‘‘ विस्तृत व्यापार आंकड़ों और शुल्क अनुसूचियों का इस्तेमाल करते हुए विश्लेषण में अनुमान लगाया गया है कि 2025 में भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में 5.76 अरब अमेरिकी डॉलर या 6.41 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।’’
भारत ने 2024 में अमेरिका को 89.81 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का सामान निर्यात किया था।
इसमें कहा गया, कई प्रमुख उत्पाद समूहों में कमी आने की संभावना है। मछली व ‘क्रस्टेशियन’ के निर्यात में 20.2 प्रतिशत; लोहे या इस्पात की वस्तुओं में 18 प्रतिशत; हीरे, सोने के उत्पादों में 15.3 प्रतिशत; वाहन व कलपुर्जों के निर्यात में 12.1 प्रतिशत और इलेक्ट्रिकल, टेलीकॉम व इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में 12 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। प्लास्टिक, कालीन, पेट्रोलियम उत्पाद, कार्बनिक रसायन और मशीनरी जैसी अन्य श्रेणियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
अध्ययन में क्षेत्र-विशिष्ट जोखिम, शुल्क दरों में बदलाव और चीन, मैक्सिको तथा कनाडा जैसे प्रमुख प्रतिस्पर्धियों से तुलनात्मक मूल्यांकन किया गया है।
जीटीआरआई ने कहा कि यद्यपि यह आकलन नए शुल्क के प्रभाव का एक संरचित तथा डेटा-आधारित अनुमान प्रदान करता है, लेकिन यह भी कई कारणों की वजह से काफी हद तक सीमित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।