कर्ज के जाल में फंसती जा रही है आज की युवा पीढ़ी

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पहले के जमाने में कर्ज लेना एक मजबूरी मानी जाती थी लेकिन आज के युवाओं के लिए कर्ज फैशन बन गया है। चाहे नया स्मार्टफोन हो, कार हो या ब्रांडेड कपड़े, हर चीज EMI (मासिक किस्तों) पर खरीदने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। देखने में ये स्कीमें आसान लगती हैं लेकिन यही “छोटी-छोटी किश्तें” युवाओं को धीरे-धीरे बड़े कर्ज के दलदल में धकेल रही हैं।

 

युवा क्यों ले रहे हैं इतना कर्ज ?

 

भारत में 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं के बीच पर्सनल लोन लेने की संख्या तेजी से बढ़ रही है। करीब 65% पर्सनल लोन युवाओं द्वारा लिए जा रहे हैं। EMI पर मोबाइल फोन, लैपटॉप, बाइक, कार आदि खरीदने की प्रवृत्ति आम हो गई है। क्रेडिट कार्ड से खरीदारी भी खूब बढ़ी है और जून 2024 तक क्रेडिट कार्ड पर बकाया रकम 2.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गई है।

 

कंपनियों की चाल: सस्ता दिखाकर महंगा बेचना

 

कंपनियाँ जानती हैं कि महँगी चीज़ को किश्तों में तोड़कर दिखाने से वह सस्ती लगती है। जैसे 50,000 रुपये का फोन मात्र 2,000 रुपये प्रतिमाह पर 25 महीने के लिए उपलब्ध करा दिया जाता है। इससे ग्राहक को तुरंत लगता है कि यह महँगा फोन उसकी जेब में फिट है जबकि वास्तविकता में ग्राहक धीरे-धीरे उस वस्तु की कीमत से कहीं अधिक चुका रहा होता है। ये कंपनियाँ ‘नो-कॉस्ट EMI’, ‘ज़ीरो डाउन पेमेंट’ जैसी स्कीमों के जरिए युवाओं को आकर्षित करती हैं।

 

मानसिकता और मनोवैज्ञानिक जाल

 

इस बढ़ते कर्ज के पीछे सोशल मीडिया और सामाजिक दबाव बहुत बड़ी वजह हैं। युवाओं में सोशल मीडिया पर दिखावा करने की होड़ लग चुकी है। दोस्त की नई कार, महंगा फोन, ब्रांडेड कपड़े देखकर युवा खुद को पीछे महसूस करते हैं। इससे उनमें चिंता और तनाव बढ़ता है (सोशल एंग्जायटी) और वो कर्ज लेकर इन चीजों को खरीदने लगते हैं। युवाओं में तुरंत चीजें हासिल करने (Instant Gratification) की प्रवृत्ति भी तेजी से बढ़ी है जिससे वे बिना सोच-विचार किए EMI या क्रेडिट कार्ड पर खर्च करते हैं।

 

छोटे-छोटे EMI धीरे-धीरे इतने बड़े बन जाते हैं कि युवाओं की मासिक आमदनी का बड़ा हिस्सा EMI में जाने लगता है। इससे उनकी बचत खत्म हो जाती है और वे इमरजेंसी में भी पैसा नहीं बचा पाते। एक छोटी-सी नौकरी छूटने या मेडिकल इमरजेंसी से उनकी वित्तीय स्थिति अचानक बिगड़ सकती है। क्रेडिट कार्ड पर ऊँची ब्याज दर (सालाना 30-48%) के कारण कर्ज तेजी से बढ़ता जाता है, जिससे युवा कर्ज के जाल में फँस जाते हैं।

 

कर्ज के जाल से कैसे बचें?

 

• वित्तीय जानकारी (Financial Literacy): EMI के पीछे छुपी हुई ब्याज और असली कीमत समझें।

 

• बजट बनाएं और उसी हिसाब से खर्च करें. अपनी मासिक आमदनी के हिसाब से EMI चुनें जो आपकी कमाई का 30-40% से ज्यादा न हो।

 

• धैर्य रखें (Delayed Gratification): हर चीज तुरंत नहीं, कुछ चीजों के लिए बचत करना सीखें।

 

• सोशल मीडिया दबाव से बचें: दिखावे के लिए कर्ज लेना छोड़ें।

 

• इमरजेंसी फंड बनाएं: मुश्किल घड़ी में काम आने के लिए 3 से 6 महीने के खर्च लायक बचत जरूर करें।

 

• क्रेडिट का जिम्मेदारी से प्रयोग करें: जरूरी चीजों के लिए क्रेडिट लें, फिजूल खर्चों के लिए नहीं।

 

कर्ज कोई बुरी चीज नहीं है लेकिन सोच-समझकर इस्तेमाल किया जाए तभी ठीक है। EMI और लोन को समझदारी से चुनकर आप भविष्य की वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं। थोड़ा संयम, थोड़ी समझदारी और कर्ज से दूर रहने की कोशिश आपको लंबे समय तक मानसिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगी।

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