प्रौद्योगिकी का लोकतंत्रीकरण होना चाहिए, भारत अपने डीपीआई को साझा कर वैश्विक सहयोग को तैयार: प्रसाद

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संयुक्त राष्ट्र, 25 अप्रैल (भाषा) भारत ने कहा कि वह अपने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) परिवेश का विस्तार कृषि तथा स्मार्ट शहरों जैसे क्षेत्रों में कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ सफलताओं को साझा करने को तैयार है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तथा इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि भारतीय डीपीआई की सफलता की कहानी दुनिया के लिए एक मिसाल है।

प्रसाद ने विश्व निकाय के मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपने मुख्य भाषण में बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘ डीपीआई का उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सुशासन, सामाजिक स्तर पर समावेशी व सतत विकास है। भविष्य का निर्माण केवल मशीन द्वारा नहीं किया जाएगा, बल्कि यह प्रौद्योगिकी द्वारा मानवता की सेवा करने के तरीके के बारे में हमारे द्वारा किए गए विकल्पों से होगा।’’

मंत्री ने कहा कि भविष्य को देखते हुए, भारत अपने डीपीआई परिवेश का विस्तार कृषि, रसद, स्मार्ट शहरों और अन्य क्षेत्रों में कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ अगली लहर गोपनीयता व डेटा संरक्षण, डिजिटल कौशल व साक्षरता, सीमा पार डीपीआई साझेदारी, स्थिरता व लचीलेपन को प्राथमिकता देगी। कृत्रिम मेधा (एआई) डीपीआई के लिए एक बल गुणक बनने जा रही है। निचले स्तर पर अंतिम व्यक्ति को सेवा प्रदान करने के हमारे लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए भारत एआई को तैनात कर रहा है।’’

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के अध्यक्ष फिलेमोन यांग ने डिजिटल बदलाव की सफलता और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में निवेश में नेतृत्व के लिए भारत की सराहना की।

‘भविष्य के डिजिटल नागरिक को सशक्त बनाना: एकीकृत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) की ओर’ शीर्षक वाले विशेष कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘ मैं डिजिटल बदलाव की सफलता और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में निवेश में अग्रणी रहने के लिए भारत की सराहना करता हूं। वास्तव में, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना वैश्विक डिजिटल समाज में समावेश की कुंजी है। ये प्रौद्योगिकियां बहुत तेज गति से विकसित हो रही हैं।’’

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