
आज चारां ओर धूम्रपान एक ऐसी महामारी के रूप में पनप रहा है जिसने युवा वर्ग को लोहे के शिकंजे की भांति बुरी तरह जकड़ रखा है। आठ नौ वर्ष के अबोध बच्चे भी शौक अथवा दिखावे में बतौर फैशन धूम्रपान करने लग जाते हैं और फिर धीरे-धीरे उन्हें आदत पड़ जाती है। तब नशा उनके लिये एक अनिवार्य जरूरत बन जाती है क्योंकि इसमें मौजूद हानिकारक पदार्थ से शरीर के स्नायुओं में पैदा होने वाली उत्तेजना दब जाती है लेकिन यह सुख क्षण भर के लिये होता है।
तम्बाकू में कुप्रभाव डालने वाले मुख्य तत्व निकोटिन, पुसिक एसिड, निकिल आक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड व कोबाल्ट बाक्साइड होते हैं। इन पदार्थों का सूक्ष्म मात्रा में सेवन भी अत्यधिक हानिकारक होता है। इससे सामान्य त्वचा रोग से लेकर पागलपन, नपुंसकता व मृत्यु तक संभव है।
निकोटिन से नसों के केन्द्रीय संस्थानों पर अत्यधिक नुकसान होता है। इसके प्रभाव से मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं जिससे मस्तिष्क 10 प्रतिशत क्षमताहीन हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप स्मरण अथवा सोचने की शक्ति क्षीण होने लगती है।
निकोटिन विष स्नायु तंत्रा के साथ-साथ फेफड़े जैसे कोमल अंग का भी विध्वंस कर देता है। श्वास गति तीव्र हो जाती है और जी मिचलाने लगता है जिससे रक्तचाप उच्च हो सकता है।
तम्बाकू का नियमित सेवन कानों की नसों पर भी असर डालता है जिससे सेवनकर्ता बहरा तक हो जाता है या उसे कम सुनाई पड़ने लगता है।
हमारे देश में देहाती व अनपढ़ महिलायें भी व्यापक मात्रा में धूम्रपान करती हैं। वैसे अब तो शहरों में माडर्न महिलायें भी फैशन के रूप में इन नशीले पदार्थों का सेवन करने लग गयी हैं। फैशन के रूप में शुरू किया नशा अब उनकी आदत के रूप में बदलता जा रहा है।
महिलाओं में तम्बाकू का सेवन काफी चिंतनीय विषय है क्योंकि एक सर्वेक्षण के अनुसार धूम्रपान अथवा तम्बाकू का सेवन महिलाओं में ’बांझपन‘ उत्पन्न करता है। इस व्यस्न से ग्रस्त महिलाओं में गर्भपात भी अधिक होता है। यही नहीं, ऐसी महिलाओं की संतान के भी विकलांग या अन्य किसी शारीरिक या मानसिक कमी से उत्पन्न होने का पूरा खतरा होता है। तम्बाकू का सेवन नियमित रूप से करने से सारा शरीर विषाक्त हो जाता है जिससे सामान्य त्वचा रोग से लेकर नपुंसकता व मृत्यु तक संभव है।
पूर्वी जर्मनी के वैज्ञानिकों के मतानुसार अत्यधिक धूम्रपान का प्रतिकूल प्रभाव मनुष्य की प्रजनन शक्ति पर पड़ता है। इसका असर सीधे वीर्य पर दृष्टिगोचर होता है। लगभग लगातार दस वर्षों तक धूम्रपान से धूम्रपानी व्यक्ति नपुंसकता के निकट आ जाता है।
जो व्यक्ति धूम्रपान वास्तव में त्यागना चाहता है, उसे चाहिए कि मन में दृढ़ संकल्प ले। अपने कमरे में रखी बीड़ी-सिगरेट व एश ट्रे आदि फेंक देनी चाहिए। जब कभी धूम्रपान को मन करे तो मुंह में सौफ, इलायची आदि रख लेनी चाहिए। इससे लाभ होगा। अगर ज्यादा उत्तेजना उत्पन्न हो तो पानी के अन्दर नींबू निचोड़ कर पी लेना चाहिए। इससे धूम्रपान करने से उलटी आने लग जायेगी। आप खांसी आदि की दवा भी पी सकते हैं।
याद रहे धूम्रपान के नुकसान ही नुकसान हैं, लाभ कोई नहीं। धूम्रपान न आपको भी आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न रहने देगा और न ही शारीरिक दृष्टि से आपका कोई भला करेगा। धूम्रपान इंसान का सबसे बड़ा शत्रा है। इस शत्रा को पहचानने की कोशिश की जानी जरूरी है।
तम्बाकू में कुप्रभाव डालने वाले मुख्य तत्व निकोटिन, पुसिक एसिड, निकिल आक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड व कोबाल्ट बाक्साइड होते हैं। इन पदार्थों का सूक्ष्म मात्रा में सेवन भी अत्यधिक हानिकारक होता है। इससे सामान्य त्वचा रोग से लेकर पागलपन, नपुंसकता व मृत्यु तक संभव है।
निकोटिन से नसों के केन्द्रीय संस्थानों पर अत्यधिक नुकसान होता है। इसके प्रभाव से मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं जिससे मस्तिष्क 10 प्रतिशत क्षमताहीन हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप स्मरण अथवा सोचने की शक्ति क्षीण होने लगती है।
निकोटिन विष स्नायु तंत्रा के साथ-साथ फेफड़े जैसे कोमल अंग का भी विध्वंस कर देता है। श्वास गति तीव्र हो जाती है और जी मिचलाने लगता है जिससे रक्तचाप उच्च हो सकता है।
तम्बाकू का नियमित सेवन कानों की नसों पर भी असर डालता है जिससे सेवनकर्ता बहरा तक हो जाता है या उसे कम सुनाई पड़ने लगता है।
हमारे देश में देहाती व अनपढ़ महिलायें भी व्यापक मात्रा में धूम्रपान करती हैं। वैसे अब तो शहरों में माडर्न महिलायें भी फैशन के रूप में इन नशीले पदार्थों का सेवन करने लग गयी हैं। फैशन के रूप में शुरू किया नशा अब उनकी आदत के रूप में बदलता जा रहा है।
महिलाओं में तम्बाकू का सेवन काफी चिंतनीय विषय है क्योंकि एक सर्वेक्षण के अनुसार धूम्रपान अथवा तम्बाकू का सेवन महिलाओं में ’बांझपन‘ उत्पन्न करता है। इस व्यस्न से ग्रस्त महिलाओं में गर्भपात भी अधिक होता है। यही नहीं, ऐसी महिलाओं की संतान के भी विकलांग या अन्य किसी शारीरिक या मानसिक कमी से उत्पन्न होने का पूरा खतरा होता है। तम्बाकू का सेवन नियमित रूप से करने से सारा शरीर विषाक्त हो जाता है जिससे सामान्य त्वचा रोग से लेकर नपुंसकता व मृत्यु तक संभव है।
पूर्वी जर्मनी के वैज्ञानिकों के मतानुसार अत्यधिक धूम्रपान का प्रतिकूल प्रभाव मनुष्य की प्रजनन शक्ति पर पड़ता है। इसका असर सीधे वीर्य पर दृष्टिगोचर होता है। लगभग लगातार दस वर्षों तक धूम्रपान से धूम्रपानी व्यक्ति नपुंसकता के निकट आ जाता है।
जो व्यक्ति धूम्रपान वास्तव में त्यागना चाहता है, उसे चाहिए कि मन में दृढ़ संकल्प ले। अपने कमरे में रखी बीड़ी-सिगरेट व एश ट्रे आदि फेंक देनी चाहिए। जब कभी धूम्रपान को मन करे तो मुंह में सौफ, इलायची आदि रख लेनी चाहिए। इससे लाभ होगा। अगर ज्यादा उत्तेजना उत्पन्न हो तो पानी के अन्दर नींबू निचोड़ कर पी लेना चाहिए। इससे धूम्रपान करने से उलटी आने लग जायेगी। आप खांसी आदि की दवा भी पी सकते हैं।
याद रहे धूम्रपान के नुकसान ही नुकसान हैं, लाभ कोई नहीं। धूम्रपान न आपको भी आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न रहने देगा और न ही शारीरिक दृष्टि से आपका कोई भला करेगा। धूम्रपान इंसान का सबसे बड़ा शत्रा है। इस शत्रा को पहचानने की कोशिश की जानी जरूरी है।