नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि अमेरिकी शुल्क से उत्पन्न मौजूदा वैश्विक माहौल में भारत के अपने विशाल घरेलू बाजार, बड़े पैमाने के लाभ और नवोन्मेष पर ध्यान केंद्रित करने से प्रतिस्पर्धी बने रहने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि शुल्क दरों की अन्य देशों से तुलना भी की जाए तो भी भारत अधिक अनुकूल स्थिति में है।
सिंधिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में कहा है कि चूंकि अन्य देशों को भी अलग-अलग स्तर के शुल्क का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए भारत संभवतः पहले की तुलना में कई उत्पादों के मामले में ‘अधिक प्रतिस्पर्धी’ बनकर उभरेगा।
उन्होंने कहा कि आकर्षक घरेलू बाजार ने वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को यहां महत्वपूर्ण उपस्थिति स्थापित करने के लिए आकर्षित किया है।
सिंधिया ने भारत की आर्थिक वृद्धि की मजबूत गति और विनिर्माण व नवाचार पर देश की नीति का हवाला दिया।
मंत्री ने कहा, ‘‘ इसलिए मेरा मानना है कि शुल्क के कारण मौजूदा माहौल के बावजूद भारत प्रतिस्पर्धी बना रहेगा। इसका कारण बड़े पैमाने पर काम होने से हमें मितव्ययिता का लाभ है। इसके साथ नवोन्मेष बड़े बाजारों की जरूरतों को पूरा करने में हमें सक्षम बनाता है।’’
अमेरिकी शुल्क स्थिति पर उनके नजरिये के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि शुल्क के पूरे प्रश्न को तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
सिंधिया ने कहा, ‘‘ यदि आप वह देश हैं जिसके साथ मैं प्रतिस्पर्धा करता था और आप पर लगाए गए शुल्क आज संभवतः मेरे शुल्क से दोगुने हैं। जहां मैं आपके मुकाबले प्रतिस्पर्धी नहीं था, अब मैं प्रतिस्पर्धी हो गया हूं। इसलिए, मुझे लगता है कि इसे केवल भारत-केंद्रित दृष्टिकोण से नहीं बल्कि तुलनात्मक दृष्टिकोण से भी देखना महत्वपूर्ण है।’’
मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अनेक क्षेत्रों में अनेक उत्पादों के लिए शुल्क लागू होने से पहले की तुलना में भारत अधिक प्रतिस्पर्धी बनकर उभरेगा।
उन्होंने इसे ‘‘ एक महत्वपूर्ण बदलाव ’’ बताते हुए कहा कि भारत ने बुनियादी ढांचे के दृष्टिकोण के साथ ही एक निर्यातक देश के दृष्टिकोण से भी स्वयं को बदल लिया है।
मंत्री ने कहा, ‘‘ …आपको समझना होगा कि एक अर्थव्यवस्था के रूप में हम कहां खड़े हैं…आज भारत का कद बेहद ऊंचा है…हम आज 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। हम आज करीब 4000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था है, 2028 तक 5000 डॉलर और 2030 तक 6000 अमेरिकी डॉलर के करीब होंगे।’’
सिंधिया ने कहा कि एक ऐसा देश जो अपनी मोबाइल फोन की जरूरत का अधिकतर हिस्सा आयात करता था और सिर्फ पांच करोड़ फोन बनाता था। आज 35 से 40 करोड़ से अधिक मोबाइल फोन बना रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा केवल मोबाइल निर्यात ही 1,75,000 करोड़ रुपये से अधिक है।’’