प्रौद्योगिकी भू-राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को पहले से कहीं अधिक प्रभावित कर रही : राजनाथ

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Rajnath Singh at Wellington, Tamil Nadu

वेलिंगटन (तमिलनाडु),रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रौद्योगिकी भू-राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को पहले से कहीं अधिक प्रभावित कर रही है और युद्ध की परंपरागत धारणाएं नये सिरे से परिभाषित की जा रही हैं।

तमिलनाडु के वेलिंगटन में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) के 80वें स्टाफ कोर्स के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा कि युद्ध भूमि में तकनीकी नवाचार की ताकत वाकई “अद्भुत” है।

उन्होंने कहा, “आज प्रौद्योगिकी भू-राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को पहले से कहीं ज्यादा प्रभावित कर रही है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), रोबोटिक्स, सैन्य स्वायत्तता, ड्रोन विज्ञान, क्वांटम, ब्लॉक चेन, अंतरिक्ष, साइबर सहित अन्य उभरती प्रौद्योगिकियां प्रतिरोध और युद्ध लड़ने के तौर-तरीके में क्रांति ला रही हैं। युद्ध अब जमीन, समुद्र और आकाश जैसे परंपरागत क्षेत्रों से परे अंतरिक्ष, साइबर, समुद्र के नीचे और रचनात्मकता के नये क्षेत्रों में लड़े जा रहे हैं।”

रक्षा मंत्री ने कहा, “उदाहरण के लिए, ड्रोन विज्ञान यूक्रेन-रूस संघर्ष में एक परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकी के रूप में नहीं, बल्कि एक नये हथियार के रूप में उभरा है। सैनिकों और उपकरणों की अधिकांश क्षति के लिए पारंपरिक तोपों या कमजोर सुरक्षा कवच को नहीं, बल्कि ड्रोन को जिम्मेदार ठहराया गया है।”

उन्होंने कहा, “इसी तरह, पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष क्षमताएं सैन्य खुफिया जानकारी, सतत निगरानी, तैनाती, लक्ष्य निर्धारण और संचार के तरीके में बदलाव ला रही हैं तथा युद्ध को एक नयी ऊंचाई पर ले जा रही हैं। युद्ध भूमि में तकनीकी नवाचार की ताकत वास्तव में अद्भुत है।”

राजनाथ ने कहा कि वर्तमान में जारी संघर्ष और समकालीन रुझान इस तथ्य को उजागर करते हैं कि युद्ध की परंपरागत धारणाएं नये सिरे से परिभाषित की जा रही हैं।

उन्होंने कहा, “मानवरहित प्रणालियों और एआई आधारित पूर्वानुमान की शुरुआत के साथ उभरती प्रौद्योगिकियां युद्ध के चरित्र को प्रभावित कर रही हैं। आज युद्ध जमीन, समुद्र और आकाश के परंपरागत युद्धक्षेत्रों से परे चला गया है। सशस्त्र बलों के लिए एक बहुआयामी माहौल में संयुक्त रूप से काम करना अधिक जरूरी हो जाएगा, जहां साइबर, अंतरिक्ष और सूचना युद्ध परंपरागत युद्धों की तरह ही घातक होंगे।”

राजनाथ ने कहा, “हम ‘ग्रे जोन’ और ‘हाइब्रिड’ (मिश्रित) युद्ध के युग में हैं, जिसमें साइबर हमले, गलत सूचना अभियान और आर्थिक युद्ध ऐसे हथियार बनकर उभरे हैं, जिनके जरिये एक भी गोली चलाए बिना राजनीतिक-सैन्य उद्देश्य पूरे किए जा सकते हैं।”

‘ग्रे जोन’ का मतलब ऐसे कालखंड से है, जहां युद्ध और शांति के बीच के समय में राज्य और राज्येतर तत्वों के बीच एक-दूसरे पर हावी होने की प्रतिस्पर्धा होती है। इसमें गैर-परंपरागत तरीकों और रणनीतियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो परंपरागत युद्ध के दायरे में नहीं आते।

उन्होंने कहा कि भारत और पूरी दुनिया अलग-अलग तरह की सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रही है।

रक्षा मंत्री ने कहा, “हमारे मामले में, हम उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर लगातार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हमारे पड़ोस में आतंकवाद के केंद्र से छद्म युद्ध और दहशतगर्दी के खतरे कारण यह चुनौती और भी जटिल हो जाती है।”

उन्होंने कहा, “पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष और हमारे पूर्व में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव का प्रभाव हमारे समग्र सुरक्षा समीकरण पर पड़ रहा है। इसके अलावा, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों सहित गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों से निपटने की क्षमता विकसित करना तेजी से अहम होता जा रहा है।”

कार्यक्रम में शामिल होने से पहले राजनाथ ने यहां मद्रास रेजिमेंटल सेंटर के युद्ध स्मारक पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की।

 

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