पीढ़ियों को अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए प्रेरित करता रहेगा कस्तूरीरंगन का दूरदर्शी नेतृत्व : राहुल

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नयी दिल्ली,  लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन के निधन पर दुख जताया और कहा कि उनका दूरदर्शी नेतृत्व पीढ़ियों को विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए प्रेरित करता रहेगा।

कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘इसरो के पूर्व अध्यक्ष और भारत की अंतरिक्ष प्रगति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन से दुखी हूं। उनका दूरदर्शी नेतृत्व पीढ़ियों को विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए प्रेरित करता रहेगा। उनके परिवार, सहकर्मियों और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।’’

खरगे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘इसरो को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और प्रमुख अंतरिक्ष अभियानों पर काम करने वाले डॉ. के. कस्तूरीरंगन का निधन वैज्ञानिक समुदाय और राष्ट्र के लिए एक बड़ी क्षति है। पद्म विभूषण से सम्मानित कस्तूरीरंगन ने भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण में महत्वपूर्ण योगदान दिया और प्रमुख नीति निर्माण में विभिन्न पदों पर रहते हुए अहम योगदान दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं उनके परिवार, सहकर्मियों के साथ हैं।’’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाने वाले दूरदर्शी अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन के परिवार और सहकर्मियों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। विज्ञान और नीति में उनका योगदान अमूल्य था।’’

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने भी उनके निधन पर दुख जताया और भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में उनके योगदान और उनके साथ काम करने के अपने निजी अनुभव को साझा किया।

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘के. कस्तूरीरंगन इसरो के चौथे अध्यक्ष थे जिनके नेतृत्व में इसरो ने उल्लेखनीय प्रगति की। विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न सरकारों के सलाहकार कस्तूरीरंगन राज्यसभा के मनोनीत सदस्य होने के साथ-साथ योजना आयोग के सदस्य भी थे।’’

रमेश ने कहा, ‘‘मुझे हमारे लंबे और घनिष्ठ सहयोग की याद आती है, खासकर 2006-2014 के दौरान मेरे मंत्रिस्तरीय कार्यकाल के समय। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं पर हमारी कई बार हुई बातचीत ने इसके बारे में मेरी समझ को काफी समृद्ध किया है। वह अक्सर मुझे बताते थे कि विक्रम साराभाई और सतीश धवन जैसे दो दिग्गजों ने उन पर व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से कितना गहरा प्रभाव डाला है। देश उनका ऋणी है।’’

 

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