बेंगलुरु, 11 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार ने शुक्रवार को सुझाव दिया कि यदि किसी ने ठेकेदारों से उनके बिलों के भुगतान के लिए कमीशन की मांग की है, तो उन्हें लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
उनकी यह प्रतिक्रिया कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ (केएससीए) द्वारा लगाये गये उस आरोप के एक दिन बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि कमीशनखोरी का खतरा अब भाजपा की पिछली सरकार से भी अधिक गंभीर हो गया है।
केएससीए ने दावा किया था कि उपमुख्यमंत्री शिवकुमार और दो अन्य वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के कार्यालयों में ‘‘दलाल’’ सक्रिय हैं।
शिवकुमार ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्रियों की संलिप्तता से इनकार किया और कहा, ‘‘यदि किसी ने बिलों के भुगतान के लिए ठेकेदारों से कमीशन मांगा है, तो उन्हें लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए। हमारे मंत्री सतीश जरकीहोली और बोसराजू इसमें शामिल नहीं हैं।’’
उपमुख्यमंत्री ने विधानसभा में पत्रकारों से कहा कि यदि ठेकेदारों से कमीशन मांगा जाता है, तो उन्हें लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि ठेकेदारों को बिल भुगतान के बारे में मंत्री से क्यों पूछना चाहिए?
शिवकुमार ने कहा, ‘‘क्या उन्हें (ठेकेदारों को) विभाग के बजट के बारे में जानकारी नहीं है? जब अनुदान ही नहीं है, तो उन्होंने ठेका कैसे ले लिया?’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझसे संबंधित मौजूदा विभाग द्वारा भाजपा कार्यकाल के दौरान एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के ठेके दिए गए थे। विधायक इन ठेकों के बिलों के भुगतान का अनुरोध कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान विधानसभा चुनाव से एक साल पहले ही ठेकेदारों को चेतावनी दे दी गई थी।
केएससीए अध्यक्ष आर मंजूनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा था कि शिवकुमार के कार्यालय में ‘‘दलाल’’ सक्रिय हैं और उन्होंने लोक निर्माण मंत्री सतीश जरकीहोली के एक रिश्तेदार द्वारा उनके विभाग से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया था।
उन्होंने दावा किया था कि लघु सिंचाई मंत्री एनएस बोसराजू के बेटे (रवि बोसराजू) ‘‘सभी सौदे करते हैं’’।
बोसराजू और जरकीहोली ने इन आरोपों से इनकार किया है।