नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) पेरिस ओलंपिक के लिए कोटा हासिल करने के बावजूद पिछले साल हुए इन खेलों में भाग नहीं ले पाने वाले राइफल निशानेबाज रुद्रांक्ष पाटिल मुश्किल परिस्थितियों में भी शांतचित्त और तनाव मुक्त रहने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
पाटिल पेरिस ओलंपिक के लिए कोटा स्थान हासिल करने वाले देश के शुरुआती निशानेबाजों में शामिल थे लेकिन भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। वह ओलंपिक क्वालीफिकेशन ट्रायल में सेना के निशानेबाज संदीप सिंह से हार गए जिन्होंने उनकी जगह पर पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
हाल ही में ब्यूनस आयर्स में सत्र के पहले आईएसएसएफ विश्व कप में व्यक्तिगत स्वर्ण और आर्य बोरसे के साथ मिश्रित टीम में रजत पदक जीतने वाले इस युवा खिलाड़ी को इस झटके ने और अधिक दृढ़ बना दिया है और अब वह निशानेबाजी के उस पहलू पर काम कर रहे हैं, जिसे सभी जानते हैं लेकिन कुछ ही लोग इसे अक्षरश: लागू कर पाते हैं।
पाटिल ने अर्जेंटीना की राजधानी से पीटीआई वीडियो से कहा, ‘‘मेरा लक्ष्य किसी भी टूर्नामेंट से पहले और टूर्नामेंट के दौरान शांतचित्त और तनाव मुक्त रहना है ताकि मैं अपने प्रदर्शन में निरंतरता ला सकूं। मैं अभी इसी पर काम कर रहा हूं।’’
यह पूर्व विश्व चैंपियन तकनीकी और मानसिक प्रशिक्षण में विश्वास रखता है और उनका मानना है कि इन दोनों पहलुओं में कितना भी कुछ करलो सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है।
पाटिल ने कहा, ‘‘हम सभी का लक्ष्य प्रत्येक दिन सुधार करना होता है। प्रत्येक वर्ष खुद को साबित करने का बहुत अधिक दबाव होता है। आपको राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए प्रत्येक दो महीने में खुद को साबित करना होता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें मानसिक और तकनीकी पहलुओं पर निरंतर काम करना होगा। यह आम बोलचाल के शब्द हैं लेकिन इनमें आप कितना भी कौशल हासिल कर लो तब भी आपको इन पर निरंतर काम करना होता है।’’
ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाने के संदर्भ में इस 21 वर्षीय निशानेबाज ने कहा, ‘‘मैं निराश नहीं था, मैं दुखी था। इसका सबसे ज्यादा असर मेरे माता-पिता और मेरे सहयोगी स्टाफ पर पड़ा क्योंकि वह जानते थे कि मैंने इसके लिए कितनी कड़ी मेहनत की थी।’’