जीतू ने विश्व कप से पहले शिविर में मुझे कुछ उपयोगी सुझाव दिए थे: सुरुचि सिंह

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नयी दिल्ली, 18 अप्रैल (भाषा) निशानेबाज सुरुचि सिंह की अंगुलियों में सटीक निशाना साधने की प्रतिभा पहले से ही थी लेकिन राष्ट्रीय शिविर में पिस्टल के दिग्गज जीतू राय से मिले सुझाव से वह दक्षिण अमेरिका में आईएसएसएफ विश्व कप में कई स्वर्ण पदक जीतने में सफल रही।

भारत की शीर्ष घरेलू प्रतियोगिताओं में कई पदक जीतने वाली इस 18 साल की निशानेबाज को भारतीय निशानेबाजी में अगली बड़ी खिलाड़ी के रूप में देखा जा रहा है। सुरूचि ने अपनी प्रतिभा और धैर्य से काफी प्रभावित किया है।

उन्हें अपनी घरेलू सफलता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए थोड़ी ‘सलाह’ की जरूरत थी और ऐसे में उन्हें जीतू से मार्गदर्शन मिला। इस सुझाव के बाद उन्होंने बेहद ही कम समय में आईएसएसएफ विश्व कप में दो व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीते।

सुरुचि ने लीमा से पीटीआई से कहा, ‘‘ जीतू ने मुझे कुछ सुझाव दिए, जिनसे मुझे यहां बहुत मदद मिली और खेल में आगे बढ़ने के लिए ये सलाह महत्वपूर्ण हैं। मैंने उनकी सलाह का पालन किया और इसका फल मुझे मिला।’’

वर्तमान में राष्ट्रीय टीम के पिस्टल कोचों में से एक जीतू को सुरुचि लंबे समय से जानती हैं। जब झज्जर की निशानेबाज ने अपने राष्ट्रीय कोच के रूप में सेना के इस पूर्व निशानेबाज को चुना तो कोई आश्चर्य नहीं हुआ। सुरुचि के पिता भी सेना से हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।

जीतू को अपने समय के दुनिया के सबसे बेहतरीन पिस्टल निशानेबाजों में से एक माना जाता था और जिन्होंने शीर्ष अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में कई स्वर्ण पदक जीते है। अपनी विनम्रता के लिए पहचाने जाने वाले इस पूर्व निशानेबाज ने कहा कि सुरुचि के पास अच्छी तकनीक है और वह मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत मजबूत है।

जीतू ने कहा, ‘‘ जब मैंने उसे प्रशिक्षण के दौरान निशाना साधते हुए देखा तो मैंने महसूस किया कि उसका हाथ थोड़ा बाईं ओर झुका हुआ था। अभ्यास के साथ उसने इसे जल्दी ही ठीक कर लिया। हमने 15 दिनों तक कर्णी सिंह रेंज में प्रशिक्षण लिया और यह एक बहुत ही उपयोगी शिविर था।’’

राय ने कहा, ‘‘मैंने उसे बताया कि जब वह बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में प्रतिस्पर्धा कर रही हो, तो दबाव को कैसे संभालना है, परिस्थितियों और स्थितियों का आकलन कैसे करना है क्योंकि सभी रेंज और स्थितियां एक जैसी नहीं होती हैं।’’

हरियाणा के भिवानी में द्रोणाचार्य अकादमी की छात्रा सुरुचि को अभी लंबा रास्ता तय करना है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं टूर्नामेंट की परवाह किए बिना अच्छी निशानेबाजी करने की कोशिश करती रहूंगी। मैं इस समय खुद से किसी उम्मीद के बारे में नहीं सोच रही हूं।’’

सुरुचि ने 2022 और 2023 के राष्ट्रीय खेलों में पदक जीते। उन्हें दिल्ली में आयोजित पिछले राष्ट्रीय खेलों में सात स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था।

राष्ट्रीय राजधानी में इस उपलब्धि के बाद इस साल की शुरुआत में उत्तराखंड में हुए राष्ट्रीय खेलों में दो और स्वर्ण पदक जीते।

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