नयी दिल्ली, विदेश मंत्री एस जयशंकर बृहस्पतिवार को यहां शुरू होने वाले वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन (जीटीएस) के नौवें संस्करण को संबोधित करेंगे।
जीटीएस भू-प्रौद्योगिकी पर भारत की ओर से आयोजित किया जाने वाला प्रमुख सम्मेलन है। विदेश मंत्रालय और कार्नेगी इंडिया की संयुक्त मेजबानी में 10 से 12 अप्रैल तक इसका आयोजन किया जाएगा।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, जीटीएस 2025 की औपचारिक शुरुआत जयशंकर के संबोधन के साथ होगी।
शिखर सम्मेलन के कार्यक्रम के अनुसार, विदेश मंत्री शुक्रवार को जीटीएस में हिस्सा लेंगे, जिसके बाद “राजनीति और अवसर : प्रौद्योगिकी साझेदारी का भविष्य”, “एआई : हकीकत की पड़ताल”, “संभावना : भूराजनीति पर प्रौद्योगिकी का असर”, “टेक ब्रिज : भारत-यूरोपीय संघ प्रौद्योगिकी सहयोग” और “डीपसीक का रहस्योद्घाटन : एआई का भविष्य” सहित अन्य विषयों पर सत्र आयोजित किए जाएंगे।
कार्यक्रम के मुताबिक, विदेश सचिव विक्रम मिसरी 12 अप्रैल को जीटीएस 2025 को संबोधित करेंगे।
विदेश मंत्री ने बुधवार रात जारी बयान में कहा था, “सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज के दिग्गजों की भागीदारी वाले इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य नवाचार, लचीलेपन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक प्रौद्योगिकी नीति वार्ता को आकार देना है।”
बयान के अनुसार, इस साल के वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन का विषय ‘संभावना’ है और इसमें यह पता लगाया जाएगा कि कैसे उभरती प्रौद्योगिकियां समावेशी विकास को बढ़ावा दे सकती हैं, डिजिटल शासन को मजबूत कर सकती हैं और सीमा पार साझेदारी को गहरा कर सकती हैं।
बयान में कहा गया है कि जीटीएस 2025 में तीन दिन के दौरान 40 से अधिक सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें मुख्य संबोधन, मंत्रिस्तरीय वार्तालाप, विशेषज्ञ समिति वार्तालाप और रणनीतिक वार्तालाप शामिल होंगे।
इसमें कहा गया है कि अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, ब्राजील, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), नाइजीरिया, फिलीपीन और यूरोपीय संघ (ईयू) सहित 40 से अधिक देशों के 150 से अधिक वक्ता “दुनिया के सामने सबसे बड़ी तकनीकी चुनौतियों और अवसरों” पर होने वाली चर्चा में हिस्सा लेंगे।
बयान के मुताबिक, सत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) नियामक, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और डेटा संरक्षण से लेकर साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष सुरक्षा और ‘ग्लोबल साउथ’ में उभरते तकनीकी सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।
इसमें कहा गया है कि जीटीएस 2025 अगली पीढ़ी की आवाज को भी बुलंद करेगा।
बयान के अनुसार, जीटीएस युवा एंबेसडर कार्यक्रम के जरिये पूरे देश के छात्र और युवा पेशेवर डिजिटल भविष्य, एआई के जिम्मेदाराना इस्तेमाल और वैश्विक तकनीकी मानदंडों पर नीतिगत बातचीत में सीधे शामिल हो सकेंगे।
वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन का पहला संस्करण 2016 में आयोजित किया गया था, जिसमें वैश्विक प्रौद्योगिकी रुझानों, रोजगार सृजन पर उनके प्रभाव और भारत के लिए नवाचार एवं विनियमन के बीच संतुलन बनाने के सबक जैसे विषयों पर चर्चा की गई थी।