भारत की वृद्धि दर उन्नत एवं उभरते जी-20 देशों में सबसे अधिक रहेगी: मूडीज

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नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) भारत की वृद्धि दर कर उपायों व निरंतर मौद्रिक सहजता के दम पर चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत रहेगी जो कि जी-20 देशों में सबसे अधिक होगी। साथ ही देश पूंजी आकर्षित करना जारी रखेगा और किसी भी विदेशी निकासी को झेल सकेगा।

मूडीज रेटिंग्स ने उभरते बाजारों पर मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिकी नीतियों के मंथन तथा वैश्विक पूंजी प्रवाह, आपूर्ति श्रृंखलाओं, व्यापार व भू-राजनीति को नया आकार देने की उसकी क्षमता के कारण ऐसी अर्थव्यवस्थाओं पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि, बड़े उभरते बाजारों के पास इससे निपटने के लिए संसाधन हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक गतिविधि उच्च स्तरों से थोड़ी धीमी हो जाएगी, लेकिन इस साल और अगले साल मजबूत रहेगी। चीन में, बुनियादी ढांचे और प्राथमिकता वाले उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में निर्यात तथा निवेश वृद्धि के मुख्य चालक बने हुए हैं, जबकि घरेलू खपत कमजोर बनी हुई है।

मूडीज ने कहा, ‘‘ कर उपायों और निरंतर (मौद्रिक) सहजता से समर्थित, भारत की वृद्धि उन्नत तथा उभरते जी-20 देशों में सबसे अधिक रहेगी।’’

रेटिंग एजेंसी ने साथ ही भारत में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो 2024-25 में 6.7 प्रतिशत से कम है। उसने मुद्रास्फीति के औसतन 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया, जो गत वित्त वर्ष में 4.9 प्रतिशत थी।

मूडीज ने साथ ही कहा कि अमेरिकी नीतियों में अनिश्चितता से पूंजी निकासी का जोखिम बढ़ेगा, लेकिन भारत तथा ब्राजील जैसे बड़े उभरते बाजार अपनी बड़ी और घरेलू रूप से उन्मुख अर्थव्यवस्थाओं, बड़े घरेलू पूंजी बाजारों, मध्यम नीति विश्वसनीयता व पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार के दम पर ऐसी परिस्थितियों में वैश्विक पूंजी को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, उभरते बाजारों की वृद्धि 2025-26 में कुल मिलाकर धीमी लेकिन दृढ़ रहेगी, जिसमें प्रत्येक देश की स्थिति के अनुरूप व्यापक अंतर होगा। एशिया-प्रशांत में वृद्धि सबसे अधिक रहेगी, लेकिन वैश्विक व्यापार में इस क्षेत्र के एकीकरण का मतलब है कि यह अमेरिकी शुल्क और वृद्धि को धीमा करने की उनकी क्षमता के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है।

जी20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख मंच है जिसके 20 सदस्य देश हैं।

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