मुंबई, 15 अप्रैल (भाषा) भू-राजनीतिक तनाव जारी रहने के कारण भारत का कुल रत्न एवं आभूषण निर्यात बीते वित्त वर्ष (2024-25) में 11.72 प्रतिशत घटकर 28.5 अरब डॉलर (करीब 2.41 लाख करोड़ रुपये) रहा है। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
वित्त वर्ष 2023-24 में कुल रत्न एवं आभूषण निर्यात 32.2 अरब डॉलर (2.67 लाख करोड़ रुपये) रहा था।
हालांकि, मार्च में निर्यात में थोड़ा सुधार हुआ और यह 1.02 प्रतिशत बढ़कर 258.30 करोड़ डॉलर (22,340.89 करोड़ रुपये) हो गया, जबकि पिछले साल इसी महीने में यह 255.70 करोड़ डॉलर (21,228.71 करोड़ रुपये) था।
जीजेईपीसी के चेयरमैन किरीट भंसाली ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘रत्न एवं आभूषण निर्यात में गिरावट मुख्य रूप से चीन और भारत के प्रमुख निर्यात बाजारों अमेरिका की में मांग में लगातार कमी के कारण है। मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव के कारण ऐसा हुआ है। साथ ही, कच्चे हीरे की कीमतों में 10-15 प्रतिशत की गिरावट के कारण मूल्य प्रभावित हुआ, जिससे निर्यात में कुल गिरावट आई।’’
तराशे और पॉलिश किए गए हीरों (सीपीडी) का कुल निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि के 1,596.70 करोड़ डॉलर (1.32 लाख करोड़ रुपये) की तुलना में 16.75 प्रतिशत घटकर 1,329 करोड़ 20 लाख डॉलर (1.12 लाख करोड़ रुपये) रह गया।
अप्रैल, 2024-मार्च, 2025 की अवधि के लिए पॉलिश किए गए लैब-निर्मित हीरों का निर्यात पिछले वर्ष के 140.24 करोड़ डॉलर (11,612.36 करोड़ रुपये) की तुलना में 9.64 प्रतिशत घटकर 126 करोड़ 72.6 लाख डॉलर (10,716.13 करोड़ रुपये) रह गया।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सोने के आभूषणों का कुल निर्यात 2023-24 के 1,122.77 करोड़ डॉलर (93,066.82 करोड़ रुपये) के मुकाबले 0.11 प्रतिशत घटकर 1,121 करोड़ 54.6 लाख डॉलर (94,937.78 करोड़ रुपये) रह गया।
वित्त वर्ष 2024-25 में चांदी के आभूषणों का निर्यात 40.58 प्रतिशत घटकर 96.18 करोड़ डॉलर (8,115.32 करोड़ रुपये) रह गया, जबकि पिछले वर्ष यह 161 करोड़ 86 लाख डॉलर (13,424.4 करोड़ रुपये) का हुआ था।
हालांकि, 2024-25 में प्लैटिनम के आभूषणों का निर्यात पिछले वर्ष के 16.35 करोड़ डॉलर (1,354.41 करोड़ रुपये) के मुकाबले 11.79 प्रतिशत बढ़कर 18.27 करोड़ डॉलर (1,547.3 करोड़ रुपये) हो गया।
इस बीच, रंगीन रत्न निर्यात 2024-25 के दौरान 8.01 प्रतिशत घटकर 44 करोड़ 3.8 लाख डॉलर (3,729.93 करोड़ रुपये) रह गया, जबकि पिछले वर्ष यह 47.87 करोड़ डॉलर (3,961.98 करोड़ रुपये) था।